Wimbledon में 89 साल बाद रचा गया इतिहास, ब्रिटिश जोड़ी ने तोड़ा ऑस्ट्रेलियाई रिंकी हिजीकाता का सपना

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लंदन के ऐतिहासिक ऑल इंग्लैंड क्लब में टेनिस का एक नया अध्याय लिखा गया। 12 जुलाई 2025 की तारीख ब्रिटिश टेनिस के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई। 89 सालों के लंबे इंतजार को खत्म करते हुए, जूलियन कैश और लॉयड ग्लासपूल की जोड़ी ने विंबलडन मेन्स डबल्स का खिताब जीतकर पूरे देश को जश्न का मौका दे दिया। घरेलू दर्शकों के जबरदस्त समर्थन के बीच, उन्होंने फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के जुझारू खिलाड़ी रिंकी हिजीकाता और उनके डच पार्टनर डेविड पेल के शानदार सफर का अंत कर दिया। यह सिर्फ एक मैच की जीत नहीं थी, यह एक पीढ़ी का सपना था जो Centre Court पर साकार हुआ।

89 साल का सूखा खत्म, ब्रिटिश Tennis का गौरव लौटा

जब जूलियन कैश ने विजयी वॉली लगाई, तो स्टेडियम में भावनाओं का समंदर उमड़ पड़ा। यह कोई आम Grand Slam जीत नहीं थी। यह 1936 के बाद पहली बार था जब दो ब्रिटिश खिलाड़ियों ने मिलकर विंबलडन में मेन्स डबल्स की ट्रॉफी उठाई थी। 89 साल पहले पैट ह्यूज और रेमंड टकी ने जो कारनामा किया था, उसे दोहराने का दबाव कैश और ग्लासपूल पर साफ दिख रहा था, लेकिन उन्होंने इस pressure को अपनी ताकत बना लिया।

मैच की शुरुआत से ही ब्रिटिश जोड़ी ने अपना दबदबा कायम कर लिया। उनका तालमेल, सर्विस की सटीकता और नेट पर आक्रामक खेल देखने लायक था। ‘Partisan crowd’ का हर एक पॉइंट पर मिलता समर्थन उनके लिए टॉनिक का काम कर रहा था। पहला सेट उन्होंने आसानी से 6-2 से अपने नाम कर लिया, जिससे हिजीकाता और पेल की जोड़ी पर दबाव और बढ़ गया। दूसरे सेट में ऑस्ट्रेलियाई-डच जोड़ी ने वापसी की भरपूर कोशिश की, लेकिन कैश और ग्लासपूल ने अपने अनुभव और संयम का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सेट को टाई-ब्रेक तक खींचा। टाई-ब्रेक में 7-3 की जीत के साथ ही उन्होंने इतिहास रच दिया।

सपने के करीब आकर चूके हिजीकाता और पेल

एक तरफ जहां ब्रिटिश कैंप में जश्न का माहौल था, वहीं दूसरी ओर रिंकी हिजीकाता और डेविड पेल के चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी। उनका यह सफर किसी परीकथा से कम नहीं था, जिसका अंत सुखद नहीं हो सका। पूर्व ‘Tar Heel’ खिलाड़ी हिजीकाता, जो विंबलडन मेन्स डबल्स फाइनल में पहुंचने वाले पांचवें ऑस्ट्रेलियाई बने, अपने पार्टनर पेल के साथ पूरे टूर्नामेंट में असाधारण टेनिस खेलकर यहां तक पहुंचे थे।

फाइनल में हार के बावजूद, उनका प्रदर्शन सराहनीय था। उन्होंने दिखाया कि वे दुनिया की किसी भी बड़ी जोड़ी को टक्कर देने का माद्दा रखते हैं। यह हार भले ही चुभने वाली हो, लेकिन इस अनुभव से उन्हें भविष्य के लिए असीम आत्मविश्वास मिलेगा। विंबलडन के फाइनल तक पहुंचना ही अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, और इस जोड़ी ने अपने जुझारूपन से लाखों टेनिस प्रेमियों का दिल जीता।

वो Semi-Final जिसने दुनिया को कर दिया था हैरान

हिजीकाता और पेल के फाइनल तक के सफर की सबसे यादगार कड़ी उनका सेमीफाइनल मुकाबला था। 10 जुलाई को हुए उस मैच में उनका सामना टॉप सीड और दुनिया की सबसे खतरनाक जोड़ियों में से एक, मार्सेलो अरेवालो और मेट पाविच से था। कागज पर अरेवालो और पाविच का पलड़ा भारी था, लेकिन कोर्ट पर जो हुआ उसने सबको हैरान कर दिया।

यह एक महाकाव्यी भिड़ंत थी, जो तीन बेहद करीबी सेटों तक चली। स्कोरलाइन 6-7 (2-7), 7-6 (7-5), 7-6 (11-9) इस मैच की कहानी खुद बयां करती है। हिजीकाता और पेल ने न सिर्फ टॉप सीड जोड़ी को हराया, बल्कि उन्होंने निर्णायक सेट के टाई-ब्रेक में दो ‘match points’ भी बचाए। उस मुश्किल हालात से मैच निकालकर जीतना उनकी मानसिक दृढ़ता को दिखाता है। उस दिन विंबलडन के दर्शक उनकी performance से ‘blown away’ थे और अंडरडॉग जोड़ी के लिए जमकर तालियां बजा रहे थे। इसी जीत ने उनके फाइनल में पहुंचने की नींव रखी थी।

ऑस्ट्रेलिया की मिली-जुली भावनाएं

इस विंबलडन में ऑस्ट्रेलिया के लिए भावनाएं मिली-जुली रहीं। एक तरफ रिंकी हिजीकाता ने देश का नाम रोशन किया और फाइनल तक पहुंचे, तो वहीं दूसरी तरफ एक और ऑस्ट्रेलियाई उम्मीद, ओलिविया गडेकी का सफर पहले ही समाप्त हो गया था, जिससे उनका फाइनलिस्ट बनने का सपना टूट गया। यह दिखाता है कि इस स्तर पर सफलता हासिल करना कितना मुश्किल है। हिजीकाता की उपलब्धि ऑस्ट्रेलियाई डबल्स टेनिस के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है, और यह युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करने का काम करेगी।

अंत में, विंबलडन 2025 का मेन्स डबल्स फाइनल दो कहानियों के लिए याद किया जाएगा। पहली, कैश और ग्लासपूल की ऐतिहासिक जीत, जिसने ब्रिटिश टेनिस के 89 साल के सूखे को खत्म किया। और दूसरी, रिंकी हिजीकाता और डेविड पेल के उस अविश्वसनीय सफर की, जिसने दिखाया कि जज्बा और हिम्मत हो तो कोई भी सपना असंभव नहीं है। भले ही ट्रॉफी ब्रिटिश जोड़ी ने उठाई, लेकिन दिल हिजीकाता और पेल ने भी जीता।

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