Release से 24 घंटे पहले High Court का ‘Brake’
सिनेमाघरों में पोस्टर्स लग चुके थे, online booking शुरू होने को थी, और film के makers अपनी मेहनत को परदे पर देखने के लिए तैयार थे। लेकिन ‘Udaipur Files’ की रिलीज़ से ठीक 24 घंटे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया जिसने पूरी industry में भूचाल ला दिया। 11 जुलाई को रिलीज़ होने वाली इस बहु-प्रतीक्षित और विवादित फिल्म पर High Court ने ‘stay’ लगा दिया है। यह फैसला फिल्म के निर्माताओं के लिए एक बहुत बड़े ‘setback’ की तरह आया है, जिनकी महीनों की मेहनत और करोड़ों रुपये अब दांव पर लग गए हैं।
यह फिल्म जून 2022 में हुई कन्हैया लाल की बर्बर हत्या पर आधारित है, एक ऐसी घटना जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। ज़ाहिर है, इस संवेदनशील विषय पर बनी फिल्म को लेकर विवाद होना तय था। लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि रिलीज़ से ठीक एक दिन पहले, मामला इस तरह कानूनी पचड़े में फंस जाएगा। High Court का यह आदेश उस वक्त आया जब फिल्म की रिलीज़ की लगभग सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। अब, ‘Udaipur Files’ का भविष्य अनिश्चितता के अंधेरे में है, और गेंद न्यायपालिका के गलियारों से निकलकर अब केंद्र सरकार के पाले में चली गई है।
Supreme Court की ‘ना’ के बाद High Court की ‘हाँ’ – Legal Drama की पूरी कहानी
इस मामले का सबसे चौंकाने वाला पहलू है देश की दो सबसे बड़ी अदालतों के बीच का विरोधाभास। यह पूरा legal drama तब शुरू हुआ जब मुस्लिम संगठन ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’ ने फिल्म की रिलीज़ के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की। जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया कि यह फिल्म एक खास समुदाय के खिलाफ ‘hate speech’ को बढ़ावा दे सकती है और देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकती है।
मामला पहले Supreme Court तक भी पहुंचा। 9 जुलाई को, Supreme Court ने फिल्म पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को राहत नहीं दी और फिल्म की एक तत्काल स्क्रीनिंग का आदेश दिया। Supreme Court के इस रुख के बाद, फिल्म के निर्माताओं ने राहत की सांस ली थी और उन्हें लगा था कि अब रिलीज़ का रास्ता साफ है।
लेकिन कहानी में असली ट्विस्ट 10 जुलाई को आया, जब दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई की। High Court ने Supreme Court से अलग रुख अपनाते हुए फिल्म की रिलीज़ पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा, “जब तक केंद्र सरकार उनकी (याचिकाकर्ता की) revision plea पर कोई फैसला नहीं ले लेती, तब तक फिल्म रिलीज़ नहीं होगी।” एक ही मामले पर दो बड़ी अदालतों के अलग-अलग नज़रिए ने इस विवाद को और भी गहरा दिया है और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर creative freedom और public order के बीच की महीन रेखा कौन तय करेगा।
कन्हैया लाल हत्याकांड और ‘Udaipur Files’ का विवाद
यह फिल्म आखिर इतनी विवादित क्यों है? इसका जवाब इसकी कहानी में छिपा है। ‘Udaipur Files’ उस खौफनाक घटना पर आधारित है जब उदयपुर में एक दर्जी, कन्हैया लाल, की दिन-दहाड़े गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप उन लोगों पर लगा जो पैगंबर मोहम्मद पर की गई एक कथित टिप्पणी का बदला लेने का दावा कर रहे थे। इस घटना ने पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव की आग भड़का दी थी।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद का तर्क यही है कि इस तरह की सच्ची और संवेदनशील घटना पर बनी फिल्म, जिसमें विजय राज़ जैसे कलाकार भी हैं, समाज में फिर से वही पुराने ज़ख्म हरे कर सकती है। उनका डर है कि फिल्म के ज़रिए एक समुदाय को निशाना बनाया जा सकता है और नफरत का माहौल पैदा हो सकता है। वहीं, फिल्म के निर्माता इसे सच को सामने लाने की एक कोशिश बता रहे हैं। यह विवाद अब ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ बनाम ‘सामाजिक सौहार्द’ की एक क्लासिक लड़ाई बन चुका है, जिसका फैसला अब सरकार को करना है।
अब केंद्र सरकार के पाले में गेंद: आगे क्या होगा?
दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले ने ‘Udaipur Files’ को एक अनिश्चितकालीन ‘limbo’ में धकेल दिया है। फिल्म की किस्मत का ताला अब केंद्र सरकार के हाथ में है। हाई कोर्ट ने Censor Board द्वारा दिए गए certification पर पुनर्विचार याचिका (revision plea) का फैसला करने के लिए केंद्र को निर्देश दिया है। इसका मतलब है कि अब सरकार की एक कमेटी फिल्म को दोबारा देखेगी और यह तय करेगी कि इसे रिलीज़ की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं।
अब आगे कई संभावनाएं हैं। केंद्र सरकार फिल्म को बिना किसी कट के पास कर सकती है। यह भी हो सकता है कि सरकार को कुछ सीन या डायलॉग आपत्तिजनक लगें और वह उन्हें हटाने का आदेश दे। और सबसे बुरी स्थिति में, सरकार फिल्म की रिलीज़ पर पूरी तरह से रोक भी लगा सकती है। यह पूरी प्रक्रिया कितनी लंबी चलेगी, यह कहना मुश्किल है। लेकिन एक बात साफ है, ‘Udaipur Files’ की रिलीज़ अब कोई आसान काम नहीं होगा। यह मामला आने वाले समय में बनने वाली कई ‘real-life event’ पर आधारित फिल्मों के लिए एक नज़ीर पेश करेगा। फिलहाल, फिल्म के कलाकार, निर्माता और दर्शक, सभी केंद्र सरकार के फैसले का इंतज़ार कर रहे हैं।