साझा थी ज़िंदगी: भारत के पारंपरिक संसाधन साझाकरण की भूली-बिसरी परंपराएं Shared Living: The Forgotten Traditions of Resource Sharing in India
“Waqt ki dhool mein kuch kahaniyan chhup jaati hain…Jaise वो बटवारा नहीं, बाँटने का दौर था —जहाँ कुएं पे सबका हक था, और अनाज की बोरी अकेली नहीं सोती थी।” चलो ज़रा आँखें बंद करो। Imagine ek छोटा सा गाँव— मिट्टी की पगडंडियाँ, सरसों के खेतों में नाचती हवा, और गाँव के बीचोंबीच ek बरगद … Read more