Ashes से पहले Broad का ‘माइंड गेम’! ऑस्ट्रेलियाई Top-Order को बताया ‘Muddled’ और ‘Shaky’

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रिटायरमेंट के बाद भी Broad का कहर जारी, ऑस्ट्रेलिया पर शब्दों के बाण!

क्रिकेट का मैदान छोड़ दिया, लेकिन जंग का मैदान नहीं! इंग्लैंड के महानतम तेज गेंदबाजों में से एक, स्टुअर्ट ब्रॉड, ने भले ही अपने बूट्स टांग दिए हों, लेकिन Ashes की आग उनके अंदर अब भी जल रही है। इस बार उन्होंने गेंद से नहीं, बल्कि अपने शब्दों से ऑस्ट्रेलियाई खेमे में खलबली मचा दी है। एक तीखे और बेबाक बयान में, ब्रॉड ने ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा टॉप-ऑर्डर बैटिंग लाइनअप को सिरे से खारिज कर दिया है, उसे ‘muddled’ (उलझा हुआ) और ‘too shaky’ (बहुत अस्थिर) करार दिया है। उनका यह बयान सिर्फ एक क्रिकेट expert की राय नहीं, बल्कि अगली Ashes सीरीज से पहले शुरू हुए ‘mind games’ का पहला बड़ा हमला माना जा रहा है।

ब्रॉड, जिनका करियर ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यादगार प्रदर्शनों से भरा पड़ा है, ने सीधे तौर पर उस्मान ख्वाजा, सैम कोन्स्टास और कैमरन ग्रीन की तिकड़ी पर निशाना साधा है। उन्होंने साफ कहा, “I can’t see this being the same top three for the Ashes.” (मैं इस टॉप-थ्री को Ashes में एक साथ खेलते हुए नहीं देख सकता)। यह बयान ऑस्ट्रेलियाई टीम मैनेजमेंट और फैंस के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है, खासकर जब यह उस शख्स की तरफ से आया हो जो ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की कमजोरियों को शायद किसी से भी बेहतर समझता है।

‘Muddled’ और ‘Shaky’: ब्रॉड ने क्यों उठाए सवाल?

स्टुअर्ट ब्रॉड ने अपने विश्लेषण में किसी लाग-लपेट का सहारा नहीं लिया। ESPNcricinfo के अपने सेगमेंट ‘Ashes Slashes’ में बोलते हुए, उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई टॉप-ऑर्डर की संरचना पर गंभीर सवाल खड़े किए। उनके अनुसार, ख्वाजा, कोन्स्टास और ग्रीन का कॉम्बिनेशन बहुत उलझा हुआ लगता है। इसमें वह स्थिरता और दबदबा नहीं है जो एक championship-winning टीम के टॉप-ऑर्डर में होना चाहिए।

उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए आज के लाइनअप की तुलना ऑस्ट्रेलिया के उस सुनहरे दौर से की जब मैथ्यू हेडन, जस्टिन लैंगर और रिकी पोंटिंग टॉप-थ्री में बल्लेबाजी करते थे। ब्रॉड ने कहा कि उस दौर में विपक्षी टीम पर शुरुआत से ही एक मनोवैज्ञानिक दबाव होता था। हेडन और लैंगर की आक्रामक सलामी जोड़ी और फिर ‘The Wall’ पोंटिंग का नंबर तीन पर आना, यह किसी भी गेंदबाजी आक्रमण की कमर तोड़ने के लिए काफी था। उस लाइनअप में एक स्पष्टता थी, एक ‘aura’ था। ब्रॉड के मुताबिक, मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई टॉप-ऑर्डर में उस स्पष्टता और दबदबे की भारी कमी है। उनका ‘shaky’ शब्द का इस्तेमाल यह बताता है कि उन्हें इस तिकड़ी की तकनीक और temperament पर भरोसा नहीं है, खासकर इंग्लैंड की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में।

एक लेजेंड की आलोचना: क्या ब्रॉड के बयान में दम है?

जब स्टुअर्ट ब्रॉड जैसा कोई शख्स कुछ कहता है, तो क्रिकेट की दुनिया उसे गंभीरता से सुनती है। यह कोई साधारण pundit की राय नहीं है। यह उस गेंदबाज की राय है जिसके नाम टेस्ट क्रिकेट के इतिहास के टॉप 25 गेंदबाजी प्रदर्शनों में दो एंट्री हैं, जिसमें 2015-16 में जोहान्सबर्ग में 17 रन देकर 6 विकेट लेने का अविश्वसनीय स्पेल भी शामिल है। वह ग्लेन मैक्ग्रा और मैथ्यू होगार्ड के साथ उन तीन गेंदबाजों में से एक हैं जिन्हें यह सम्मान मिला है। उन्होंने अनगिनत बार ऑस्ट्रेलियाई टॉप-ऑर्डर को ध्वस्त किया है।

उस्मान ख्वाजा एक अनुभवी campaigner हैं, लेकिन उनकी उम्र और इंग्लैंड में उनका पिछला रिकॉर्ड हमेशा सवालों के घेरे में रहता है। सैम कोन्स्टास एक युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, लेकिन क्या वह Ashes के दबाव को झेल पाएंगे? कैमरन ग्रीन, जो मूल रूप से एक ऑल-राउंडर हैं, को नंबर तीन पर खिलाने का फैसला भी कई experts को हैरान कर रहा है। ब्रॉड इन्हीं कमजोरियों की तरफ इशारा कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह संयोजन एक ‘work in progress’ जैसा लगता है, न कि एक स्थापित और खतरनाक टॉप-ऑर्डर। उनके बयान ने एक बहस छेड़ दी है: क्या ऑस्ट्रेलिया अपने टॉप-ऑर्डर के साथ कुछ ज्यादा ही प्रयोग कर रहा है?

Ashes Mind Games: मनोवैज्ञानिक युद्ध का पहला बिगुल

Ashes सीरीज सिर्फ मैदान पर बल्ले और गेंद से नहीं खेली जाती। यह मैदान के बाहर, मीडिया में और दिमाग में भी लड़ी जाती है। स्टुअर्ट ब्रॉड इस खेल के मास्टर रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद अब वह माइक के पीछे से वही भूमिका निभा रहे हैं। उनके इस बयान को सिर्फ एक क्रिकेट विश्लेषण के रूप में देखना भोलापन होगा। यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसका मकसद ऑस्ट्रेलियाई खेमे में अनिश्चितता और संदेह के बीज बोना है।

इन खिलाड़ियों पर अभी से दबाव बनाकर, ब्रॉड यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि जब भी वे अगली बार मैदान पर उतरें, तो उनके दिमाग में यह बात घूमती रहे। यह एक क्लासिक ‘mind game’ टैक्टिक है, जहां आप विपक्षी की कमजोरियों को सार्वजनिक रूप से उजागर करते हैं ताकि वे खुद पर शक करने लगें। ब्रॉड के बयान को news.com.au से लेकर ESPNcricinfo तक, सभी प्रमुख मीडिया आउटलेट्स ने प्रमुखता दी है और इसे Facebook और X (पूर्व में ट्विटर) पर खूब शेयर किया गया है। इसने एक narrative तैयार कर दिया है, और अब ऑस्ट्रेलियाई टीम पर इस narrative को गलत साबित करने का दबाव होगा।

क्या यह सिर्फ एक पूर्व खिलाड़ी की ईमानदार राय है, या फिर Ashes की लड़ाई का पहला बिगुल? वजह जो भी हो, एक बात तो तय है – स्टुअर्ट ब्रॉड ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आप उन्हें खेल से तो बाहर कर सकते हैं, लेकिन Ashes की लड़ाई से नहीं। और इस बार उनका हथियार गेंद नहीं, बल्कि शब्द हैं, जो शायद उतने ही घातक साबित हो सकते हैं।

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