पटना में चांदी की ‘जबरदस्त रफ्तार’, मचा हड़कंप
पटना। बिहार के सबसे बड़े सर्राफा बाजार, पटना में इन दिनों सोने से ज्यादा चांदी की चमक देखने को मिल रही है। चांदी की कीमतों ने ऐसी ‘जबरदस्त रफ्तार’ पकड़ी है कि सारे पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए हैं और निवेशकों से लेकर आम खरीदारों तक में हलचल मच गई है। पिछले मात्र पांच दिनों के भीतर चांदी की कीमत में ₹8,000 प्रति किलोग्राम की अविश्वसनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो अपने आप में एक कीर्तिमान है।
शनिवार, 13 जुलाई 2025 को, पटना के बाजार में चांदी का भाव ₹1,14,300 प्रति किलोग्राम के ऐतिहासिक शिखर पर पहुंच गया। यह एक दिन पहले, यानी शुक्रवार को ₹1,13,100 प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही थी। सिर्फ 24 घंटों में ₹1,200 प्रति किलो की यह छलांग इस बात का सबूत है कि बाजार में चांदी को लेकर जबरदस्त bullish sentiment बना हुआ है।
यह अभूतपूर्व तेजी ऐसे समय में आई है जब सोने की कीमतों में एक तरह का ठहराव सा आ गया है। पिछले कुछ हफ्तों से सोना, जो लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा था, अब एक सीमित दायरे में कारोबार कर रहा है। इसके विपरीत, चांदी ने रॉकेट की गति पकड़ ली है, जिससे commodity market के विशेषज्ञ भी हैरान हैं। इस sudden surge ने निवेशकों के मन में यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अब निवेश के लिए सोने से ज्यादा चांदी में ‘दम’ है?
क्यों दौड़ रही है चांदी? सोने पर क्यों लगा ब्रेक?
इस नाटकीय बदलाव के पीछे कई वैश्विक और स्थानीय कारक हो सकते हैं। आमतौर पर, चांदी की कीमत औद्योगिक मांग (industrial demand) से बहुत प्रभावित होती है, क्योंकि इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर पैनलों और इलेक्ट्रिक वाहनों में बड़े पैमाने पर होता है। वैश्विक स्तर पर green energy और technology पर बढ़ता फोकस चांदी की मांग को बढ़ा रहा है। जब औद्योगिक गतिविधियां तेज होती हैं, तो चांदी की मांग बढ़ती है, और कीमतें आसमान छूने लगती हैं।
दूसरी ओर, सोना मुख्य रूप से एक सुरक्षित निवेश (safe-haven asset) माना जाता है। जब आर्थिक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव या मुद्रास्फीति का खतरा होता है, तो निवेशक सोने की ओर भागते हैं। हाल के महीनों में सोने ने शानदार प्रदर्शन किया। आगरा से आई एक रिपोर्ट के अनुसार, जून 2025 में सोने की कीमतें पिछले साल की तुलना में 38.18% अधिक थीं। लेकिन अब, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में थोड़ी स्थिरता के संकेत मिल रहे हैं, तो सोने की रफ्तार कुछ धीमी पड़ी है।
पटना के बाजार में चांदी की इस रिकॉर्ड तोड़ रैली ने सोने की चमक को पूरी तरह से फीका कर दिया है। जहां चांदी दिन-ब-दिन नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है, वहीं सोने की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर बनी हुई हैं। यह dynamic shift निवेशकों को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रहा है।
Gold vs. Silver: भविष्य का सुपरस्टार कौन?
हालांकि वर्तमान में चांदी सुर्खियों में है, लेकिन long-term perspective को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। विशेषज्ञ सोने को लेकर अभी भी बहुत आशावादी हैं और इसे एक लंबे bullish cycle में देख रहे हैं।
एक हालिया रिपोर्ट में यह भविष्यवाणी की गई है कि 2030 तक सोने की कीमत $8,900 प्रति औंस तक पहुंच सकती है। अगर इस आंकड़े को भारतीय रुपये में बदला जाए, तो यह एक चौंकाने वाली रकम होगी। रिपोर्ट में medium-term में भी सोने की कीमत $4,000 से $5,000 प्रति औंस तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। जून की शुरुआत में, भारत में 24 कैरेट सोने की कीमत ₹9,906 प्रति ग्राम के आसपास थी। इन भविष्यवाणियों को देखते हुए, सोने में गिरावट को कई विशेषज्ञ खरीदारी का एक शानदार मौका मान रहे हैं।
लेकिन, चांदी का मौजूदा प्रदर्शन यह बताता है कि यह सिर्फ ‘गरीबों का सोना’ नहीं है, बल्कि अपने आप में एक शक्तिशाली संपत्ति है। इसकी दोहरी प्रकृति – एक कीमती धातु और एक औद्योगिक वस्तु – इसे अद्वितीय बनाती है। जैसे-जैसे दुनिया clean energy और advanced technology की ओर बढ़ेगी, चांदी की मांग का बढ़ना लगभग तय है।
पटना के बाजार में जो हो रहा है, वह शायद इसी बड़े बदलाव का एक छोटा सा संकेत है। निवेशकों के लिए यह एक जटिल लेकिन रोमांचक समय है। उन्हें यह तय करना होगा कि वे सोने की स्थापित और दीर्घकालिक सुरक्षा पर दांव लगाना चाहते हैं, या चांदी की विस्फोटक विकास क्षमता पर।
निष्कर्ष: क्या करें निवेशक?
पटना में चांदी की कीमतों में आया यह भूचाल एक wake-up call है। यह दिखाता है कि कमोडिटी बाजार कितना अप्रत्याशित हो सकता है। फिलहाल, चांदी का पलड़ा भारी दिख रहा है, और इसने सोने को पछाड़ दिया है। लेकिन, निवेश का कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया जाना चाहिए।
विशेषज्ञों की सलाह है कि निवेशकों को अपने portfolio को diversify करना चाहिए और दोनों कीमती धातुओं में संतुलन बनाना चाहिए। सोने में किसी भी गिरावट को लंबी अवधि के लिए एक खरीदारी के अवसर के रूप में देखा जा सकता है, जबकि चांदी short-term से medium-term में शानदार रिटर्न दे सकती है। अंतिम निर्णय निवेशक के अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करेगा। लेकिन एक बात तो तय है, पटना के सर्राफा बाजार ने यह साबित कर दिया है कि चांदी की चमक को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।