करोड़ों का Flyover या मौत का जाल? उद्घाटन के 4 दिन बाद ‘Skidding Zone’ बना नया पुल, बाइकर्स घायल!

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करोड़ों का Flyover या मौत का जाल? उद्घाटन के 4 दिन बाद ‘Skidding Zone’ बना नया पुल, बाइकर्स घायल!

मुंबई/ठाणे। विकास की नई इबारत लिखने के दावे के साथ जिस पुल का फीता काटा गया, वही पुल अब जनता के लिए एक जानलेवा मजाक बन गया है। ठाणे, कल्याण और डोंबिवली के लोगों को ट्रैफिक के नर्क से निजात दिलाने के लिए बनाया गया नया-नवेला पलावर (Palava) फ्लाईओवर, जिसे कटाई-निल्जे फ्लाईओवर के नाम से भी जाना जा रहा है, उद्घाटन के महज चार दिनों के भीतर ही एक खतरनाक ‘skidding zone’ में तब्दील हो चुका है। करोड़ों रुपये की लागत से बना यह फ्लाईओवर अब अपनी घटिया निर्माण क्वालिटी के चलते सुर्खियों में है, जहां से गुजरने वाले बाइकर्स फिसलकर अस्पतालों का चक्कर काट रहे हैं।

यह कहानी है उस सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार की, जो विकास के चमकदार विज्ञापनों के पीछे छिपा होता है। जिस फ्लाईओवर को एक सौगात के तौर पर पेश किया गया, वह अब एक ऐसी पहेली बन गया है जिसे अधिकारी बार-बार खोलते और बंद करते हैं, जबकि आम नागरिक अपनी जान हथेली पर रखकर इससे गुजरने को मजबूर हैं।

उद्घाटन, हादसा और उपहास: 24 घंटे की कहानी

कल्पना कीजिए, सालों के इंतजार के बाद आपके इलाके में एक नया फ्लाईओवर खुलता है। आप जाम से बचने के सपने देखते हुए उस पर अपनी गाड़ी चढ़ाते हैं, और कुछ ही पलों में सड़क आपके पहियों के नीचे से रेत की तरह खिसक जाती है। यही हकीकत है पलावर फ्लाईओवर की। लगभग 4 जुलाई के आसपास, बड़े तामझाम के साथ इस फ्लाईओवर को यातायात के लिए खोला गया। लेकिन जश्न का माहौल 24 घंटे भी नहीं टिक सका।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, उद्घाटन के कुछ ही घंटों के भीतर कम से कम दो बाइकर्स इस पुल पर फिसलकर बुरी तरह घायल हो गए। इसके बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में फ्लाईओवर को बंद कर दिया गया। यह किसी कॉमेडी शो के सीन जैसा था – जिस पुल को खोला गया था, उसे तुरंत बंद करना पड़ा। इसके बाद ‘खोलने-बंद करने’ का एक अजीब सिलसिला शुरू हुआ, जिसने इस पूरे प्रोजेक्ट को जनता के बीच उपहास का पात्र बना दिया। जो पुल राहत देने वाला था, वह अब लोगों के गुस्से और तीखे सवालों का केंद्र बन गया है।

क्यों बना यह Flyover एक ‘Skidding Zone’?

आखिर ऐसा क्या हुआ कि करोड़ों की लागत से बना एक बिल्कुल नया फ्लाईओवर इतना खतरनाक हो गया? इसका जवाब इसकी सतह में छिपा है। निर्माण में इस्तेमाल की गई क्वालिटी इतनी घटिया है कि यह किसी भी safety standard पर खरा नहीं उतरता। मुख्य समस्याएं दो हैं:

  1. उखड़ता तारकोल (Loose Tarmac): फ्लाईओवर की सतह पर बिछाया गया तारकोल ठीक से जमा ही नहीं है। गाड़ियों के गुजरने के साथ यह उखड़ रहा है, जिससे सड़क पर बजरी और कंकड़ फैल गए हैं। यह स्थिति दोपहिया वाहनों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि टायर को सड़क पर grip बनाने का मौका ही नहीं मिलता।
  2. जरूरत से ज्यादा बिटुमेन (Excess Bitumen): सड़क बनाते समय बिटुमेन (डामर) का इस्तेमाल एक निश्चित मात्रा में किया जाता है ताकि वह बजरी को बांधकर रख सके। लेकिन इस फ्लाईओवर पर बिटुमेन का इस्तेमाल जरूरत से कहीं ज्यादा कर दिया गया है। बारिश के पानी के संपर्क में आने पर यह सतह को बेहद चिकना और फिसलन भरा बना देता है, जो एक अदृश्य जाल की तरह काम करता है।

इन दोनों कारणों ने मिलकर इस फ्लाईओवर को एक आदर्श ‘skidding zone’ बना दिया है, जहां ब्रेक लगाना भी एक जोखिम भरा काम है। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि जनता की सुरक्षा के साथ एक आपराधिक खिलवाड़ है।

जनता का पैसा बर्बाद, अब जवाबदेही किसकी?

यह घटना पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में व्याप्त भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी पर एक बड़ा तमाचा है। यह सवाल अब जोर-शोर से उठ रहा है कि आखिर इस घटिया निर्माण के लिए जिम्मेदार कौन है?

  • ठेकेदार कौन था? किस कंस्ट्रक्शन कंपनी को इस फ्लाईओवर का ठेका दिया गया था? क्या उसके पास इस तरह के बड़े प्रोजेक्ट बनाने का अनुभव और योग्यता थी?
  • अधिकारियों ने जांच क्यों नहीं की? फ्लाईओवर को यातायात के लिए खोलने से पहले उसकी quality check की जिम्मेदारी किस सरकारी संस्था (जैसे MMRDA या स्थानीय नगर पालिका) की थी? क्या किसी इंजीनियर ने इस घटिया काम को पास कर दिया?
  • क्या होगी कार्रवाई? क्या इस मामले में कोई जांच होगी? क्या उस ठेकेदार को black list किया जाएगा और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी? या फिर जनता के करोड़ों रुपये यूं ही बर्बाद हो जाएंगे और कुछ पैबंद लगाकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाएगा?

यह सिर्फ एक फ्लाईओवर का मामला नहीं है, बल्कि यह उस systemic rot को दर्शाता है जहां ठेकेदार, नेता और अधिकारियों का गठजोड़ जनता की जान की परवाह किए बिना अपनी जेबें भरता है। जो फ्लाईओवर विकास का प्रतीक होना चाहिए था, वह आज भ्रष्टाचार का स्मारक बनकर खड़ा है।

आगे का रास्ता: मरम्मत या नया खतरा?

फिलहाल, इस फ्लाईओवर का भविष्य अनिश्चित है। इसे सुरक्षित बनाने के लिए बड़े पैमाने पर मरम्मत की जरूरत होगी, जिसका मतलब है और ज्यादा पैसा खर्च होगा और जब तक मरम्मत चलेगी, तब तक ट्रैफिक की समस्या जस की तस बनी रहेगी। सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर बिना उचित जांच और सुधार के इसे फिर से पूरी तरह से खोल दिया गया, तो यह किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकता है।

यह घटना सभी नागरिकों के लिए एक wake-up call है। हमें अपने टैक्स के पैसे से बन रहे प्रोजेक्ट्स की क्वालिटी पर सवाल उठाने का हक है। जब तक हम और आप इस तरह की लापरवाही पर चुप रहेंगे, तब तक ऐसे ‘skidding zone’ वाले फ्लाईओवर बनते रहेंगे और विकास के नाम पर हमारी जान से खिलवाड़ होता रहेगा।

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