महाराष्ट्र में Online Movie Ticket होंगे महंगे! Bombay High Court ने Convenience Fee पर 10 साल पुराना बैन हटाया, PVR-BookMyShow की बड़ी जीत

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एक दशक पुराना फैसला पलटा, सिनेमाघरों की बड़ी जीत

मुंबई। एक झटके में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र में मनोरंजन उद्योग का पूरा समीकरण बदल दिया है। गुरुवार, 10 जुलाई 2025 को दिए गए एक लैंडमार्क फैसले में, अदालत ने महाराष्ट्र सरकार के उन दो आदेशों को खारिज कर दिया, जो लगभग एक दशक से ऑनलाइन मूवी टिकटों पर ‘कनवीनियंस फीस’ या सुविधा शुल्क वसूलने पर रोक लगाए हुए थे। यह फैसला सिनेमा थिएटर मालिकों और BookMyShow तथा PVR जैसी दिग्गज ऑनलाइन टिकटिंग कंपनियों के लिए एक ज़बरदस्त जीत है, जबकि आम सिने-प्रेमी की जेब पर इसका सीधा असर पड़ना तय है।

अब तक, महाराष्ट्र देश का शायद एकमात्र ऐसा राज्य था जहां दर्शक बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के ऑनलाइन मूवी टिकट खरीद सकते थे। यह सरकार का एक उपभोक्ता-अनुकूल (consumer-friendly) कदम था। लेकिन सिनेमा मालिकों ने इस प्रतिबंध को अदालत में चुनौती दी थी, और अब, दस साल की लंबी लड़ाई के बाद, फैसला उनके पक्ष में आया है। हाई कोर्ट ने न केवल सरकार के आदेशों को रद्द किया, बल्कि इस बात पर भी ज़ोर दिया कि अतिरिक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए शुल्क लेना एक व्यावसायिक इकाई का मौलिक अधिकार है।

क्या था यह ‘Convenience Fee’ का विवाद?

आइए पहले समझते हैं कि यह पूरा विवाद था क्या। जब आप सिनेमा हॉल की खिड़की पर जाकर टिकट खरीदते हैं, तो आप केवल फिल्म का टिकट मूल्य चुकाते हैं। लेकिन जब आप BookMyShow, PVR या किसी अन्य ऐप/वेबसाइट से ऑनलाइन टिकट बुक करते हैं, तो आपको घर बैठे टिकट बुक करने, अपनी सीट चुनने, और लंबी लाइनों से बचने की ‘सुविधा’ मिलती है। इसी सुविधा के बदले में प्लेटफॉर्म्स एक छोटा सा शुल्क लेते हैं, जिसे ‘कनवीनियंस फीस’ कहा जाता है।

लगभग 2015 के आसपास, महाराष्ट्र सरकार ने दो आदेश जारी कर सिनेमाघरों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को यह शुल्क लेने से रोक दिया था। सरकार का तर्क था कि टिकट की कीमत में ही सारी लागतें शामिल होनी चाहिए और दर्शकों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं डाला जाना चाहिए। इस फैसले से आम जनता खुश थी, लेकिन सिनेमा उद्योग, खासकर ऑनलाइन टिकटिंग एग्रीगेटर्स, के लिए यह एक बड़ा झटका था। उनका तर्क था कि वे एक टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म चलाते हैं, जिसमें सर्वर, पेमेंट गेटवे, कस्टमर केयर और ऐप मेंटेनेंस जैसी भारी लागत आती है। यह फीस उनके बिजनेस मॉडल का एक अनिवार्य हिस्सा है, जिसके बिना उनका काम करना मुश्किल है।

कोर्ट का ‘Fundamental Right’ वाला तर्क

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सिनेमा मालिकों की दलीलों से सहमति जताई। अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि ऑनलाइन टिकटिंग एक ‘वैल्यू-एडेड सर्विस’ (value-added service) है। यह कोई मजबूरी नहीं, बल्कि एक विकल्प है जो दर्शक अपनी सहूलियत के लिए चुनता है। अगर कोई दर्शक यह अतिरिक्त शुल्क नहीं देना चाहता, तो वह हमेशा की तरह सिनेमा हॉल की खिड़की से जाकर टिकट खरीद सकता है।

अदालत ने इसे व्यापार करने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार से जोड़ा। रिपोर्टों के अनुसार, कोर्ट का मानना था कि जब कोई व्यवसाय अपने ग्राहकों को एक अतिरिक्त सुविधा प्रदान कर रहा है, तो उसे उस सुविधा के लिए एक उचित शुल्क लेने का पूरा अधिकार है। सरकार इस तरह से किसी के बिजनेस मॉडल पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती। यह तर्क इस पूरे मामले में ‘गेम-चेंजर’ साबित हुआ। यह फैसला इस सिद्धांत को स्थापित करता है कि ‘सुविधा’ मुफ्त नहीं हो सकती; इसकी एक कीमत होती है जो सेवा प्रदाता वसूल सकता है।

PVR और BookMyShow के लिए ‘Big Win’ क्यों?

यह फैसला PVR-INOX और BookMyShow जैसी कंपनियों के लिए किसी लॉटरी लगने से कम नहीं है। महाराष्ट्र, खासकर मुंबई और पुणे जैसे शहर, भारतीय फिल्म उद्योग के सबसे बड़े बाजारों में से एक हैं। यहां पर ऑनलाइन टिकट बुकिंग का चलन भी बहुत ज़्यादा है। पिछले एक दशक से इस बड़े बाजार में कन्वीनियंस फीस न वसूल पाना उनके राजस्व (revenue) के लिए एक बड़ा नुकसान था।

BookMyShow जैसी कंपनियों का तो पूरा बिजनेस मॉडल ही इसी फीस पर टिका है। वे केवल एक एग्रीगेटर हैं जो टेक्नोलॉजी और प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं। इस फीस के बिना, उनके लिए अपने ऑपरेशन्स को मुनाफे में चलाना लगभग असंभव था। अब इस प्रतिबंध के हटने से, वे महाराष्ट्र में अपने राजस्व को काफी हद तक बढ़ा पाएंगे। यह उनके स्टॉक मार्केट प्रदर्शन के लिए भी एक positive boost होगा। यही कारण है कि इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स इसे इन कंपनियों के लिए एक ‘Big Win’ बता रहे हैं।

आम आदमी की जेब पर कितना पड़ेगा असर?

अब आते हैं सबसे ज़रूरी सवाल पर। इस फैसले का आप और हम पर क्या असर होगा? जवाब सीधा है—अब महाराष्ट्र में ऑनलाइन मूवी टिकट बुक करना महंगा हो जाएगा। अब तक जो टिकट आप सिर्फ बेस प्राइस और टैक्स चुकाकर खरीदते थे, अब उस पर एक अतिरिक्त ‘कनवीनियंस फीस’ भी जुड़ेगी।

यह फीस कितनी होगी, यह अभी तय नहीं है। लेकिन अगर हम दूसरे राज्यों के ट्रेंड को देखें, तो यह प्रति टिकट ₹20 से लेकर ₹50 या उससे भी ज़्यादा हो सकती है, जो सिनेमा हॉल और शहर पर निर्भर करेगा। इसका मतलब है कि अगर एक परिवार चार लोगों के लिए ऑनलाइन टिकट बुक करता है, तो उन्हें ₹100 से ₹200 तक अतिरिक्त चुकाने पड़ सकते हैं। यह उन लोगों के लिए एक झटका है जिन्हें पिछले 10 सालों से बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के ऑनलाइन बुकिंग करने की आदत हो गई थी। अब दर्शकों को यह तय करना होगा कि क्या वे सुविधा के लिए ज़्यादा पैसे देना चाहते हैं या फिर पुराने दिनों की तरह लाइन में लगकर टिकट खरीदना पसंद करेंगे।

आगे क्या? क्या दूसरे राज्य भी लेंगे सबक?

बॉम्बे हाई कोर्ट का यह फैसला सिर्फ महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं रहेगा। इसका असर पूरे देश में देखने को मिल सकता है। यह एक मजबूत कानूनी मिसाल (legal precedent) स्थापित करता है। अगर भविष्य में कोई और राज्य सरकार भी इसी तरह का प्रतिबंध लगाने की कोशिश करती है, तो सिनेमा मालिक और टिकटिंग प्लेटफॉर्म्स इस फैसले को एक ढाल के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।यह फैसला भारत में ऑनलाइन कॉमर्स और सर्विस-आधारित व्यवसायों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है। यह स्पष्ट करता है कि यदि कोई कंपनी ग्राहकों को कोई विशिष्ट सुविधा प्रदान करती है, तो उसे उसके लिए शुल्क लेने का अधिकार है, जब तक कि वह अनुचित न हो। कुल मिलाकर, यह एक ऐसा फैसला है जिसने इंडस्ट्री को राहत की सांस दी है, लेकिन दर्शकों की जेब पर थोड़ा बोझ बढ़ा दिया है। अब देखना यह है कि कंपनियां इस नई मिली आज़ादी का इस्तेमाल कितनी जिम्मेदारी से करती हैं।

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