एक बार फिर भारतीय वायुसेना के लिए एक दुखद और चिंताजनक ख़बर आई है। बुधवार, 9 जुलाई 2025 को, राजस्थान के आसमान में एक और लड़ाकू विमान आग का गोला बन गया। चूरू जिले के पास भारतीय वायुसेना का एक Jaguar फाइटर जेट अपने एक रूटीन ट्रेनिंग मिशन के दौरान क्रैश हो गया। इस दर्दनाक हादसे में विमान उड़ा रहे पायलट की जान चली गई, जिससे वायुसेना और देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
यह सिर्फ एक अकेली दुर्घटना नहीं है, बल्कि यह उस खतरनाक Pattern का हिस्सा है जो 2025 में लगातार देखने को मिल रहा है। इस साल यह Jaguar विमान से जुड़ा तीसरा हादसा है, जो वायुसेना के इस पुराने हो रहे ‘Deep Penetration Strike Aircraft’ बेड़े की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर एक बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है।
## क्या हुआ था आसमान में? ट्रेनिंग मिशन बना अंतिम उड़ान
रक्षा सूत्रों से मिली शुरुआती जानकारी के मुताबिक, Jaguar विमान ने एक नियमित प्रशिक्षण उड़ान (Routine Training Sortie) के लिए उड़ान भरी थी। सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन अचानक विमान का नियंत्रण खो गया और यह चूरू जिले के भानुदा गांव के पास एक खेत में जा गिरा। गनीमत यह रही कि विमान किसी रिहायशी इलाके से दूर गिरा, जिससे ज़मीन पर कोई बड़ा जान-माल का नुक़सान नहीं हुआ।
लेकिन देश ने अपना एक बहादुर योद्धा खो दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, पायलट को विमान से समय पर बाहर निकलने (Eject) का मौका ही नहीं मिला। हादसे के बाद घटनास्थल पर विमान का मलबा चारों तरफ़ बिखर गया और मानवीय अवशेष भी पाए गए, जिससे पायलट की मृत्यु की पुष्टि हुई। इस ख़बर ने एक बार फिर उन खतरों को उजागर कर दिया है जिनका सामना हमारे पायलट हर दिन इन पुरानी मशीनों को उड़ाते हुए करते हैं। वायुसेना ने तत्काल प्रभाव से घटना की जांच के लिए एक Court of Inquiry का आदेश दे दिया है ताकि हादसे के असल कारणों का पता लगाया जा सके।
## 2025 में तीसरा हादसा: एक खतरनाक Pattern!
यह हादसा इसलिए और भी ज़्यादा चिंताजनक है क्योंकि यह कोई Isolated Incident नहीं है। साल 2025 Jaguar बेड़े के लिए बेहद ख़राब साबित हुआ है।
* **पहला हादसा:** इस साल की शुरुआत में ही एक Jaguar विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।
* **दूसरा हादसा:** अप्रैल 2025 में, एक ट्विन-सीटर Jaguar ट्रेनर एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया था।
* **तीसरा हादसा:** और अब 9 जुलाई को हुआ यह हादसा इस साल का तीसरा Jaguar क्रैश है।
आंकड़े और भी गंभीर हो जाते हैं जब हम देखते हैं कि पिछले सिर्फ़ तीन महीनों के भीतर यह दूसरा घातक (Fatal) Jaguar हादसा है। बार-बार हो रही ये दुर्घटनाएं साफ़ तौर पर एक पैटर्न की ओर इशारा कर रही हैं। यह पैटर्न वायुसेना के इस महत्वपूर्ण लड़ाकू बेड़े की ऑपरेशनल फिटनेस और मेंटेनेंस को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या इन विमानों की उम्र पूरी हो चुकी है? क्या इनके स्पेयर पार्ट्स की कमी है? या फिर इन हादसों के पीछे कोई और तकनीकी ख़ामी है? इन सवालों के जवाब मिलना देश की सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है।
## ‘Deep Penetration’ का योद्धा, अब क्यों उठ रहे सवाल?
SEPECAT Jaguar को भारतीय वायुसेना में ‘शमशेर’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ‘Deep Penetration Strike Aircraft’ है, जिसका मतलब है कि यह दुश्मन की सीमा में बहुत अंदर तक घुसकर हमला करने में सक्षम है। 1980 के दशक में इसे वायुसेना में शामिल किया गया था और इसने कई ऑपरेशनों में अपनी काबिलियत साबित की है।
लेकिन चार दशक से ज़्यादा की सेवा के बाद, अब यह बेड़ा अपनी उम्र के आख़िरी पड़ाव पर है। वायुसेना ने समय-समय पर इसे अपग्रेड किया है, लेकिन एक मशीन की अपनी सीमा होती है। लगातार हो रहे हादसे इस बात का संकेत दे रहे हैं कि शायद अब इन ‘योद्धाओं’ को सम्मान के साथ रिटायर करने का समय आ गया है। दुनिया भर की वायुसेनाएं अपने पुराने विमानों को चरणबद्ध तरीक़े से हटा रही हैं, और भारत को भी इस दिशा में तेज़ी से काम करने की ज़रूरत है। इन विमानों को उड़ाने वाले पायलटों की जान किसी भी चीज़ से ज़्यादा क़ीमती है।
## जांच का इंतज़ार और भविष्य की चुनौती
फिलहाल, सभी की निगाहें IAF की Court of Inquiry पर टिकी हैं। यह जांच ही बताएगी कि इस ताज़ा हादसे के पीछे तकनीकी ख़राबी, मानवीय भूल या मौसम का हाथ था। लेकिन एक हादसे की जांच से बड़ी चुनौती पूरे Jaguar बेड़े के भविष्य को लेकर है।
वायुसेना को इस बात का गहराई से आकलन करना होगा कि क्या इन विमानों को और अपग्रेड करके उड़ाना सुरक्षित है, या इन्हें जल्द से जल्द नए और आधुनिक विमानों से बदलने की प्रक्रिया को तेज़ करने की ज़रूरत है। मेड-इन-इंडिया LCA Tejas और अन्य आधुनिक विमानों को शामिल करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन उसे और गति देने की ज़रूरत है ताकि हम अपने बहादुर पायलटों को सुरक्षित और अधिक सक्षम मशीनें दे सकें।
यह हादसा एक दुखद रिमाइंडर है कि देश की सुरक्षा की क़ीमत हमारे जवान अपनी जान देकर चुकाते हैं। उस शहीद पायलट को श्रद्धांजलि देने का सबसे अच्छा तरीक़ा यही होगा कि हम इन हादसों के मूल कारणों का पता लगाएं और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए ठोस और निर्णायक कदम उठाएं।