गुरुग्राम में दिल दहला देने वाली वारदात
साइबर सिटी गुरुग्राम, जो अपनी ऊंची इमारतों, corporate culture और आधुनिक जीवनशैली के लिए जाना जाता है, आज एक ऐसी खबर से दहल गया है जिसने रिश्तों और इंसानियत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शहर के सबसे पॉश और सुरक्षित माने जाने वाले इलाकों में से एक, सुशांत लोक, में एक दिल दहला देने वाली वारदात हुई। यहाँ एक पिता, जो अपनी बेटी का रक्षक और मार्गदर्शक होता है, वही उसकी जान का दुश्मन बन बैठा। 10 जुलाई, 2025 की सुबह, एक घर गोलियों की आवाज़ से गूंज उठा और जब तक कोई कुछ समझ पाता, एक उभरती हुई टेनिस खिलाड़ी की ज़िंदगी हमेशा के लिए खत्म हो चुकी थी।
पीड़िता, राधिका यादव, एक प्रतिभाशाली टेनिस खिलाड़ी थी, जिसके सपनों की उड़ान अभी शुरू ही हुई थी। लेकिन उसके सपनों को परवाज़ देने वाले पिता ने ही उसके पंख काट दिए। अपने ही घर में, जहाँ हर बच्चा खुद को सबसे ज़्यादा महफूज़ समझता है, राधिका को उसके पिता ने गोलियों से भून डाला। यह घटना सिर्फ एक crime story नहीं है, बल्कि यह उस भरोसे का कत्ल है जो एक बेटी अपने पिता पर करती है। सुशांत लोक का वह घर, जो कभी सपनों और उम्मीदों का आशियाना था, आज एक crime scene में तब्दील हो चुका है, जहाँ हवा में मातम और अनगिनत सवाल तैर रहे हैं।
कौन थी राधिका यादव? एक बुझता हुआ सितारा
राधिका यादव सिर्फ एक नाम नहीं थी, वह एक सपना थी। एक सपना जो उसने अपनी आंखों में पाला था, और एक सपना जो शायद उसके परिवार ने भी देखा था। वह एक tennis player थी, जो हर दिन घंटों court पर पसीना बहाती थी, ताकि एक दिन वह देश का नाम रोशन कर सके। टेनिस रैकेट थामे उसके हाथ, जो कभी ट्रॉफी उठाने के लिए बने थे, आज बेजान पड़े हैं।
उसके दोस्त और आस-पड़ोस के लोग बताते हैं कि राधिका एक मेहनती और focused लड़की थी। उसका जीवन टेनिस के इर्द-गिर्द ही घूमता था। सुबह practice, फिर fitness training, और फिर अगले tournament की तैयारी। एक खिलाड़ी का जीवन अनुशासन और त्याग से भरा होता है, और राधिका उस रास्ते पर बखूबी चल रही थी। लेकिन उसे क्या पता था कि जिस रास्ते पर वह national और international success की उम्मीद कर रही थी, उस रास्ते का अंत उसके अपने ही घर की दहलीज़ पर इतनी बेरहमी से कर दिया जाएगा। एक उभरते हुए सितारे का इस तरह बुझ जाना न केवल उसके परिवार के लिए, बल्कि देश के खेल जगत के लिए भी एक क्षति है।
कैसे दिया गया वारदात को अंजाम?
पुलिस की शुरुआती जांच के अनुसार, यह हत्याकांड अचानक गुस्से में नहीं, बल्कि एक क्रूर इरादे से किया गया लगता है। आरोपी पिता ने अपनी बेटी पर एक के बाद एक 5 गोलियां चलाईं। यह कोई एक गोली नहीं थी जो गलती से चल गई हो, यह पांच गोलियों की बौछार थी, जो यह सुनिश्चित करने के लिए की गई थी कि राधिका किसी भी हाल में बच न पाए।
इन पांच गोलियों में से तीन गोलियां सीधे राधिका के शरीर में जा धंसीं। गोलियों की आवाज़ सुनकर जब तक पड़ोसी और अन्य लोग मौके पर पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। राधिका खून से लथपथ ज़मीन पर पड़ी थी और उसकी सांसें थम चुकी थीं। जिस पिता को अपनी बेटी के शरीर पर लगी खरोंचों पर मरहम लगाना चाहिए था, उसी ने उसके शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया। यह क्रूरता की पराकाष्ठा है और इसने पुलिस अधिकारियों को भी झकझोर कर रख दिया है।
पुलिस की गिरफ्त में कातिल पिता, लेकिन मकसद पर गहरा सस्पेंस
गुरुग्राम पुलिस ने इस मामले में फुर्ती दिखाते हुए आरोपी पिता को तुरंत गिरफ्तार कर लिया। हत्या में इस्तेमाल की गई रिवॉल्वर भी बरामद कर ली गई है। कानून के अनुसार, अपराधी अब सलाखों के पीछे है, लेकिन इस केस का सबसे बड़ा और सबसे उलझा हुआ पहलू अभी भी एक रहस्य बना हुआ है – आखिर एक पिता ने अपनी बेटी की जान क्यों ली? What was the motive?
पुलिस की टीमें लगातार आरोपी पिता से पूछताछ कर रही हैं, लेकिन अभी तक उसने अपना मुंह नहीं खोला है। मकसद पूरी तरह से unclear है, जिसने इस केस को और भी ज़्यादा रहस्यमयी और दर्दनाक बना दिया है। क्या यह कोई घरेलू विवाद था? क्या पिता राधिका के career choices या उसकी life style से नाखुश था? क्या कोई संपत्ति का झगड़ा था, या कोई honor killing का मामला? ये वो तमाम सवाल हैं जिनके जवाब पुलिस तलाश रही है।
जब तक मकसद सामने नहीं आता, यह कहानी अधूरी रहेगी। एक पिता का अपनी ही बेटी का कातिल बन जाना समाज के ताने-बाने को झकझोर कर रख देता है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे घरों की चारदीवारी के पीछे आखिर क्या चल रहा है? क्या हमारे समाज में संवाद की इतनी कमी हो गई है कि विवादों का हल गोलियों से निकाला जा रहा है? पुलिस की investigation जारी है और उम्मीद है कि जल्द ही इस हत्याकांड के पीछे छिपे काले सच से पर्दा उठेगा। लेकिन जो भी सच सामने आए, वह एक बेटी को वापस नहीं ला सकता।