FATF रिपोर्ट का सनसनीखेज खुलासा: पुलवामा हमले का बम Amazon पर हुआ था Order!
नई दिल्ली। आतंक के खिलाफ दुनिया की सबसे बड़ी निगरानी संस्था, Financial Action Task Force (FATF) की एक रिपोर्ट ने भारत समेत पूरी दुनिया के सुरक्षा प्रतिष्ठानों में हड़कंप मचा दिया है। इस दहला देने वाली रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है, वो न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि आधुनिक आतंकवाद के बदलते चेहरे को भी बेनकाब करता है। FATF के अनुसार, 2019 में हुए भीषण पुलवामा आतंकी हमले, जिसमें CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे, में इस्तेमाल हुए Improvised Explosive Device (IED) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दुनिया के सबसे बड़े e-commerce प्लेटफॉर्म, Amazon पर ऑर्डर किया गया था।
यह खुलासा उस स्याह हकीकत को सामने लाता है, जहां आतंकवाद अब जंगलों और अंधेरी गलियों से निकलकर हमारे स्मार्टफोन और कंप्यूटर स्क्रीन तक पहुंच गया है। जिस Amazon को हम और आप अपनी रोजमर्रा की जरूरतों का सामान खरीदने के लिए इस्तेमाल करते हैं, उसी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल देश के दुश्मनों ने भारत पर सबसे घातक हमलों में से एक को अंजाम देने के लिए किया। यह सिर्फ एक खुफिया चूक का मामला नहीं है, बल्कि यह digital economy के उन अंधेरे कोनों को उजागर करता है, जहां आतंक का कारोबार फल-फूल रहा है।
क्या है FATF की रिपोर्ट का पूरा मामला?
FATF एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग को रोकने के लिए नीतियां बनाती है। इसकी रिपोर्ट्स को पूरी दुनिया में बेहद गंभीरता से लिया जाता है। हालिया रिपोर्ट में, FATF ने इस बात पर चिंता जताई है कि आतंकी समूह अब पारंपरिक तरीकों को छोड़कर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्ट में भारत का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है और पुलवामा हमले को एक case study के तौर पर पेश किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, हमलावरों ने IED बनाने के लिए जरूरी एक खास component को Amazon India से खरीदा था। हालांकि, रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि वह component क्या था, लेकिन यह तथ्य अपने आप में भयावह है। IED बनाने के लिए कई तरह के रसायनों, बैटरी, तार और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जरूरत होती है, जिनमें से कई चीजें आसानी से e-commerce साइट्स पर उपलब्ध हैं। हमलावरों ने इसी loophole का फायदा उठाया। उन्होंने बिना किसी की नजर में आए, आसानी से ऑनलाइन ऑर्डर किया, digital payment किया और सामान उनके दरवाजे तक पहुंच गया, जिसका इस्तेमाल बाद में देश को दहलाने के लिए किया गया।
Amazon और PayPal: आतंक के नए हथियार?
FATF की रिपोर्ट में सिर्फ Amazon का ही नाम नहीं है। इसमें online payment service प्रदाता PayPal का भी जिक्र है, जिसे भारत में terror financing के लिए इस्तेमाल किया गया। यह दिखाता है कि समस्या कितनी गहरी और व्यापक है। ये tech giants, जो अपनी cutting-edge technology और user-friendly interface का दावा करते हैं, अनजाने में ही सही, आतंक के मददगार बन रहे हैं। उनकी सुविधा और पहुंच का फायदा अब आतंकवादी उठा रहे हैं।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है। अनुराग मैराल नाम के एक यूजर ने X पर टिप्पणी करते हुए Amazon और PayPal को ‘tools of terror trade of today’ यानी ‘आज के आतंक के व्यापार का औजार’ करार दिया। यह टिप्पणी इन प्लेटफॉर्म्स की भूमिका पर एक तीखा कटाक्ष है। सवाल यह उठता है कि क्या इन कंपनियों की कोई जिम्मेदारी नहीं है? क्या उनके पास ऐसे कोई security checks या algorithms नहीं हैं जो इस तरह के संदिग्ध लेनदेन को पकड़ सकें? एक तरफ ये कंपनियां यूजर डेटा का विश्लेषण करके हमें विज्ञापन दिखाती हैं, तो दूसरी तरफ वे ऐसे खरीदारों की पहचान करने में विफल क्यों हो रही हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं?
2019 पुलवामा हमला: एक गहरा घाव जो फिर हरा हुआ
14 फरवरी, 2019 का दिन भारत कभी नहीं भूल सकता। इसी दिन जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर CRPF के काफिले पर एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटक से भरी गाड़ी से हमला कर दिया था। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था और 40 परिवारों को कभी न भरने वाला गम दे गया था। FATF की रिपोर्ट ने उस गहरे घाव को एक बार फिर हरा कर दिया है।
अब यह लड़ाई सिर्फ सीमा पर तैनात जवानों की नहीं है, बल्कि यह corporate boardrooms और data centers में भी लड़ी जानी है। यह खुलासा मांग करता है कि हम अपनी आतंरिक सुरक्षा की रणनीति पर फिर से विचार करें। हमें यह समझना होगा कि आतंक का supply chain अब digital हो चुका है। फंडिंग से लेकर सामान की खरीद तक, सब कुछ इंटरनेट के जरिए हो रहा है। अगर हम इस digital trail को पकड़ने में नाकाम रहते हैं, तो पुलवामा जैसे और हमलों के खतरे को कभी कम नहीं कर पाएंगे।
सुरक्षा एजेंसियों और Tech Giants के लिए Wake-up Call
यह रिपोर्ट भारत की सुरक्षा एजेंसियों और Amazon जैसी वैश्विक तकनीकी कंपनियों, दोनों के लिए एक बड़ा wake-up call है। एजेंसियों को अब अपनी जांच का दायरा बढ़ाना होगा। उन्हें e-commerce transactions, digital payments और dark web पर अपनी निगरानी को और तेज करना होगा। इसके लिए उन्हें नई skills और technology की जरूरत होगी।
वहीं, Amazon, PayPal और अन्य e-commerce प्लेटफॉर्म्स अब खुद को सिर्फ एक ‘न्यूट्रल प्लेटफॉर्म’ कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते। उन्हें अपनी नीतियों को और सख्त करना होगा। कुछ खास तरह के रसायनों या उपकरणों की बिक्री पर कड़े KYC (Know Your Customer) नियम लागू करने होंगे। उन्हें संदिग्ध खरीदारों और लेनदेन की पहचान करने के लिए बेहतर AI-powered tools विकसित करने होंगे और यह जानकारी proactively सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा करनी होगी।
FATF की रिपोर्ट सिर्फ कुछ पन्नों का दस्तावेज नहीं है, यह एक चेतावनी है। यह बताती है कि 21वीं सदी का आतंकवाद कितना जटिल और खतरनाक हो चुका है। अगर इसे रोकना है तो सरकारों, सुरक्षा एजेंसियों और प्राइवेट सेक्टर, खासकर tech industry को मिलकर काम करना होगा। अब वक्त आ गया है कि इन बड़ी कंपनियों को उनकी सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी का अहसास कराया जाए, क्योंकि जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो ‘ease of business’ से ज्यादा जरूरी ‘safety of citizens’ है।