नशे में चूर Audi ड्राइवर का कहर: Vasant Vihar में फुटपाथ पर सो रहे 5 लोगों को रौंदा, 8 साल की बच्ची भी घायल

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दिल्ली की सड़कों पर फिर दौड़ी ‘Killer’ कार

दिल्ली, एक ऐसा शहर जो कभी सोता नहीं। लेकिन 9 जुलाई की रात, जब शहर का एक बड़ा हिस्सा नींद की आगोश में था, तब दक्षिण दिल्ली के पॉश इलाके वसंत विहार की सड़कों पर मौत का खेल खेला जा रहा था। एक सफेद रंग की लग्जरी Audi कार, जिसकी कीमत लाखों में है, नशे में चूर एक ड्राइवर के हाथों में एक हथियार बन चुकी थी। उस रात, इस ‘killer’ कार ने फुटपाथ पर सुकून की नींद सो रहे पांच बेबस जिंदगियों को रौंद दिया। उन पीड़ितों में एक 8 साल की मासूम बच्ची भी थी, जिसके सपनों को इस बेरहम कार ने कुचल दिया।

यह घटना सिर्फ एक और hit-and-run का मामला नहीं है, यह उस भयावह सच्चाई का प्रतिबिंब है जहां अमीरी का नशा और लापरवाही, गरीबों की ज़िंदगी को एक पल में खत्म कर देती है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 40 वर्षीय रियल एस्टेट डीलर उत्सव शेखर को हिरासत में ले लिया है, जिसकी medical report ने यह साफ कर दिया है कि वह घटना के समय शराब के नशे में पूरी तरह धुत था।

क्या हुआ था उस खौफनाक रात को?

यह 9 जुलाई की रात थी, घड़ी में लगभग 1:45 बज रहे थे। वसंत विहार में इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप के पास बने फुटपाथ पर कुछ लोग दिनभर की थकान के बाद गहरी नींद में सोए हुए थे, इस बात से बेखबर कि कुछ ही पलों में उनकी दुनिया उजड़ने वाली है। तभी, नोएडा की तरफ से तेज रफ्तार में आती हुई एक सफेद Audi कार ने अपना नियंत्रण खो दिया।

कार चला रहा उत्सव शेखर नशे में इतना चूर था कि उसे सड़क और फुटपाथ का फर्क भी महसूस नहीं हुआ। उसकी कार सीधे फुटपाथ पर चढ़ गई और वहां सो रहे पांच लोगों को कुचलते हुए आगे बढ़ गई। चीख-पुकार और हाहाकार के बीच, कुछ ही सेकंड में सब कुछ तबाह हो गया। एक पीड़ित ने होश में आने के बाद उस खौफनाक मंजर को याद करते हुए बस इतना कहा, “Got unconscious after being run over” (कुचले जाने के बाद मैं बेहोश हो गया था)। यह एक लाइन उस रात की भयावहता को बताने के लिए काफी है। इस हादसे में एक 8 साल की बच्ची समेत पांच लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया।

कौन है यह उत्सव शेखर?

इस पूरी घटना का मुख्य आरोपी, उत्सव शेखर, कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। 40 वर्षीय उत्सव दिल्ली के द्वारका का रहने वाला है और property dealing यानी रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़ा है। उसके पास एक महंगी Audi कार है, लेकिन शायद वह उस जिम्मेदारी को नहीं समझता जो एक स्टीयरिंग व्हील के साथ आती है। दिल्ली पुलिस द्वारा जारी की गई उसकी तस्वीर एक ऐसे शख्स की है जो अपनी लापरवाही के नतीजों से शायद अभी भी अनजान है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्सव नोएडा में किसी पार्टी से लौट रहा था। शराब का नशा उस पर इस कदर हावी था कि उसने अपनी कार को एक विनाशकारी मशीन में बदल दिया। यह मामला फिर से उस बहस को छेड़ता है कि क्या सख्त कानून और भारी जुर्माने भी ऐसे अमीर और लापरवाह लोगों को सड़कों पर गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार करने से रोक सकते हैं? पुलिस की जांच में यह साफ हो गया है कि यह कोई अनजाने में हुई दुर्घटना नहीं, बल्कि नशे में की गई एक आपराधिक लापरवाही थी।

Police का Action और आगे की कार्रवाई

घटना की जानकारी मिलते ही दिल्ली पुलिस तुरंत हरकत में आई। पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए कार और ड्राइवर की पहचान की और उत्सव शेखर को हिरासत में ले लिया। सबसे अहम सबूत, यानी medical report, ने भी पुलिस के शक पर मुहर लगा दी। रिपोर्ट में उत्सव के खून में अल्कोहल की मात्रा तय सीमा से कहीं ज़्यादा पाई गई।

अब उत्सव शेखर पर कानून का शिकंजा कसना तय है। उस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाएगा, जिसमें नशे में गाड़ी चलाना (Drunk Driving), लापरवाही से वाहन चलाकर गंभीर चोट पहुंचाना (Causing grievous hurt by act endangering life) और अन्य संबंधित धाराएं शामिल हैं। दिल्ली पुलिस ने आरोपी की तस्वीर भी मीडिया को जारी की है, ताकि इस मामले में कोई ढिलाई न बरती जा सके। हालांकि, असली सवाल यह है कि क्या कानून की यह कार्रवाई पीड़ितों, खासकर उस 8 साल की बच्ची को न्याय दिला पाएगी, जिसकी ज़िंदगी इस हादसे ने हमेशा के लिए बदल दी है।

दिल्ली की सड़कों पर कब तक सोती रहेगी इंसानियत?

यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली की सड़कों पर किसी अमीरजादे ने अपनी महंगी कार से गरीबों को कुचला हो। BMW हिट-एंड-रन से लेकर अनेकों ऐसे मामले हैं जहां फुटपाथ पर सोने वाले, जो समाज के सबसे कमजोर और असुरक्षित लोग हैं, तेज रफ्तार कारों का शिकार बने हैं। ये घटनाएं सिर्फ ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन का मामला नहीं हैं, ये एक गहरी सामाजिक खाई को भी उजागर करती हैं।

एक तरफ आलीशान बंगलों और महंगी गाड़ियों की दुनिया है, और दूसरी तरफ वे लोग हैं जिनके पास सिर छिपाने के लिए छत तक नहीं है और उन्हें फुटपाथ को ही अपना घर बनाना पड़ता है। ऐसे में, यह फुटपाथ उनके लिए सोने की जगह नहीं, बल्कि एक ‘death trap’ बन जाता है। उत्सव शेखर जैसे लोग यह भूल जाते हैं कि उनकी एक रात की ‘मौज-मस्ती’ किसी के पूरे परिवार को तबाह कर सकती है। यह घटना सरकार और समाज, दोनों से यह सवाल पूछती है कि आखिर इन बेघर लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है? और कब तक दिल्ली की सड़कें अमीरों की लापरवाही का अखाड़ा बनी रहेंगी?

फिलहाल, पांच जिंदगियां अस्पताल में अपनी चोटों से जूझ रही हैं। उत्सव शेखर पुलिस की हिरासत में है और मामला अब अदालत में जाएगा। लेकिन न्याय की इस लंबी लड़ाई में, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि असली मुजरिम सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि वह मानसिकता भी है जो शराब पीकर गाड़ी चलाने को ‘शान’ समझती है और फुटपाथ पर सो रहे इंसान को कीड़े-मकोड़े से ज़्यादा कुछ नहीं समझती।

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