नई दिल्ली। रविवार, 13 जुलाई, 2025 को राष्ट्रपति भवन से एक ऐसी खबर आई जिसने देश के राजनीतिक और बौद्धिक गलियारों में हलचल मचा दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए चार नई हस्तियों को संसद के उच्च सदन, यानी राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। हालांकि चारों नामों में से अभी दो पर से ही पर्दा उठा है, लेकिन ये दो नाम ही अपने-आप में एक बड़ा संदेश देते हैं। ये नाम हैं – कानून की दुनिया के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले, मुंबई ब्लास्ट के गुनहगारों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने वाले वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम, और भारतीय कूटनीति का एक बड़ा चेहरा रहे पूर्व विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला।
यह कोई सामान्य मनोनयन नहीं है। यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत सरकार कानून और विदेश नीति के दो सबसे बड़े जानकारों को सीधे संसद के विचार-विमर्श का हिस्सा बना रही है। यह कदम दिखाता है कि आने वाले समय में राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय संबंधों जैसे मुद्दों पर संसद में होने वाली बहस और भी तीखी और गहरी होने वाली है।
## कौन हैं उज्ज्वल निकम? एक वकील जिसने आतंकवाद को घुटनों पर ला दिया
उज्ज्वल निकम का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यह वो नाम है जिसे सुनकर आतंकवादियों और अंडरवर्ल्ड के अपराधियों की रूह कांप जाती है। एक ‘Public Prosecutor’ के रूप में, निकम ने भारत के कुछ सबसे संवेदनशील और हाई-प्रोफाइल मामलों की पैरवी की है। उनकी सबसे बड़ी पहचान 1993 के मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट केस से बनी, जिसमें उन्होंने अपनी धारदार दलीलों से कई दोषियों को सजा दिलाई। इसके बाद, 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मामले में आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी के तख्ते तक पहुंचाने में भी उनकी भूमिका निर्णायक थी।
निकम की कार्यशैली बेहद आक्रामक और सटीक मानी जाती है। वे सिर्फ कानून के ज्ञाता नहीं, बल्कि मीडिया और জনमत (public opinion) को साधने की कला में भी माहिर हैं। उन्होंने अपने करियर में 600 से ज्यादा अपराधियों को आजीवन कारावास और 30 से ज्यादा को मौत की सजा दिलाई है। गुलशन कुमार हत्याकांड से लेकर प्रमोद महाजन हत्याकांड तक, उन्होंने हर बड़े केस में अपनी कानूनी क्षमता का लोहा मनवाया है।
अब उनका राज्यसभा में जाना एक बड़ा कदम है। अब तक वे अदालत में सरकार का पक्ष रखते थे, अब वे संसद में देश के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा बनेंगे। आतंकवाद विरोधी कानूनों, criminal justice system में सुधार और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर उनकी विशेषज्ञता और अनुभव संसद के लिए बेहद मूल्यवान साबित होंगे। उनका मनोनयन एक स्पष्ट संकेत है कि सरकार आतंकवाद और संगठित अपराध पर ‘zero tolerance’ की नीति को कानूनी रूप से और मजबूत करना चाहती है।
## कौन हैं हर्ष वर्धन श्रृंगला? कूटनीति के माहिर खिलाड़ी
अगर उज्ज्वल निकम कानून के महारथी हैं, तो हर्ष वर्धन श्रृंगला कूटनीति के शतरंज के माहिर खिलाड़ी हैं। एक शानदार करियर वाले ‘ex-diplomat’, श्रृंगला ने भारत के 33वें विदेश सचिव के रूप में कार्य किया। अपने लंबे करियर में उन्होंने अमेरिका, थाईलैंड और बांग्लादेश में भारत के राजदूत के रूप में भी सेवाएं दीं। उन्हें एक ऐसे राजनयिक के रूप में जाना जाता है जो जटिल अंतरराष्ट्रीय समीकरणों को सुलझाने और भारत के हितों को मजबूती से आगे रखने में माहिर हैं।
जब भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया था, तब दुनिया भर में भारत का पक्ष रखने और पाकिस्तान के प्रोपेगैंडा का जवाब देने में श्रृंगला ने अहम भूमिका निभाई थी। अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने से लेकर, पड़ोसी देशों के साथ ‘Neighbourhood First’ की नीति को आगे बढ़ाने तक, उनकी छाप हर जगह दिखाई देती है। हाल ही में, उन्होंने G20 शिखर सम्मेलन के मुख्य समन्वयक के रूप में भी भारत की सफल मेजबानी में एक केंद्रीय भूमिका निभाई थी।
उनका राज्यसभा में आना भारतीय संसद में विदेश नीति पर होने वाली बहस को एक नई ऊंचाई देगा। आज जब दुनिया geopolitical उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है, चीन के साथ तनाव है, और वैश्विक मंच पर भारत एक बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी कर रहा है, तब श्रृंगला जैसा अनुभवी राजनयिक संसद के भीतर सरकार को एक मजबूत बौद्धिक सहारा प्रदान करेगा। उनकी मौजूदगी यह सुनिश्चित करेगी कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर होने वाली चर्चा सिर्फ राजनीतिक बयानों तक सीमित न रहे, बल्कि उसमें कूटनीतिक गहराई और रणनीतिक समझ भी शामिल हो।
## दो अन्य चेहरे कौन? अटकलों का बाजार गर्म
राष्ट्रपति मुर्मू ने कुल चार सदस्यों को मनोनीत किया है, लेकिन अभी तक केवल निकम और श्रृंगला के नामों की ही आधिकारिक घोषणा हुई है। बाकी दो चेहरे कौन होंगे, इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म है। संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा जैसे क्षेत्रों से 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत कर सकते हैं।
निकम को कानून और समाज सेवा के क्षेत्र से, और श्रृंगला को सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र से माना जा सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बाकी दो सीटें किस क्षेत्र की हस्तियों को मिलती हैं। क्या कोई बड़ा कलाकार या साहित्यकार संसद पहुंचेगा, या फिर विज्ञान के क्षेत्र से किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति को यह सम्मान मिलेगा? इन दो नामों का खुलासा होने तक, सस्पेंस बना रहेगा।
कुल मिलाकर, ये दो नामांकन साफ तौर पर सरकार की उस मंशा को दर्शाते हैं जिसमें वह विभिन्न क्षेत्रों के शीर्ष विशेषज्ञों को नीति-निर्माण की प्रक्रिया में शामिल करना चाहती है। यह कदम न केवल संसद की बहस के स्तर को ऊपर उठाएगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि देश के लिए बनने वाले कानूनों और नीतियों में जमीनी अनुभव और गहरी विशेषज्ञता का समावेश हो। अब पूरे देश की निगाहें इन नई हस्तियों के संसदीय प्रदर्शन पर टिकी होंगी।