शनिवार, 12 जुलाई, 2025 की तपती दोपहर। दिल्ली का सदर बाजार अपनी चिर-परिचित गहमागहमी में डूबा हुआ था। खरीदारों और दुकानदारों की भीड़, सामान से लदे हाथ-ठेले और संकरी गलियों में गूंजता शोर… यह दिल्ली के इस सबसे बड़े थोक बाजार का रोज का मंजर है। लेकिन अचानक, इस शोर को चीरती हुई सायरन की आवाजें गूंजने लगीं और आसमान में धुएं का एक काला गुबार उठने लगा। एक बहुमंजिला कमर्शियल बिल्डिंग आग की भीषण लपटों में घिर चुकी थी। देखते ही देखते, अफरा-तफरी का माहौल बन गया और दिल्ली के दिल में आग का तांडव शुरू हो गया, एक ऐसा तांडव जिसने न सिर्फ करोड़ों का माल खाक कर दिया, बल्कि अपने एक जांबाज रक्षक को भी गंभीर रूप से घायल कर दिया।
## जब सदर बाजार में मचा हाहाकार
दिल्ली फायर सर्विसेज (DFS) के अनुसार, आग की सूचना दोपहर के वक्त मिली। बताया गया कि सदर बाजार की एक तीन-मंजिला इमारत की पहली मंजिल पर स्थित एक दुकान से आग की शुरुआत हुई। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, आग ने विकराल रूप ले लिया और पूरी बिल्डिंग को अपनी चपेट में ले लिया। इमारत में कई दुकानें थीं, जिनमें प्लास्टिक के सामान, कॉस्मेटिक्स और अन्य ज्वलनशील पदार्थ भरे हुए थे, जिन्होंने आग के लिए घी का काम किया।
चंद ही मिनटों में, आग की लपटें खिड़कियों से बाहर निकलने लगीं और धुएं के घने बादलों ने पूरे इलाके को ढक लिया। लोगों में दहशत फैल गई। दुकानदार अपनी दुकानों से सामान बाहर निकालने की जद्दोजहद करने लगे, तो वहीं स्थानीय लोग और पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने में जुट गए। सदर बाजार की संकरी गलियां, जो आम दिनों में इसकी पहचान होती हैं, आज बचाव कार्य में सबसे बड़ी बाधा बन गईं। फायर टेंडरों को घटनास्थल तक पहुंचने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी।
## आग बुझाने की जंग: 27 फायर टेंडर और एक जांबाज की कुर्बानी
जैसे ही सूचना मिली, DFS ने तुरंत हरकत में आते हुए एक के बाद एक फायर टेंडर मौके पर रवाना किए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, मौके पर भेजी गई गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ती गई। अलग-अलग समाचार एजेंसियों, जैसे ANI और PTI की रिपोर्ट्स में 10, 12 से लेकर 27 तक फायर टेंडरों के घटनास्थल पर पहुंचने की बात कही गई है, जो इस आग की भयावहता को दर्शाता है।
दिल्ली के जांबाज फायरफाइटर्स ने तुरंत ‘dousing operation’ शुरू कर दिया। एक तरफ आग की सैकड़ों फुट ऊंची लपटें थीं, तो दूसरी तरफ इन जांबाजों का फौलादी इरादा। वे अपनी जान जोखिम में डालकर इमारत के अंदर घुसने और आग के स्रोत तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन इसी जानलेवा संघर्ष के बीच, एक दुखद खबर आई। आग बुझाने के दौरान, एक फायर ऑपरेटर गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तुरंत पास के अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। यह घटना हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि ये फायरफाइटर्स सिर्फ आग नहीं बुझाते, बल्कि हमारी सुरक्षा के लिए अपनी जान दांव पर लगाते हैं।
घंटों तक चले इस युद्ध के बाद, आखिरकार फायर सर्विस के जवानों ने आग पर काबू पा लिया। लेकिन तब तक, इमारत और उसमें रखा लाखों-करोड़ों का सामान जलकर खाक हो चुका था।
## सदर बाजार: दिल्ली का धड़कता दिल या एक ‘Time Bomb’?
यह आग सिर्फ एक हादसा नहीं है, यह एक चेतावनी है। सदर बाजार और चांदनी चौक जैसे दिल्ली के पुराने बाजार, जो शहर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, एक तरह से ‘ticking time bomb’ पर बैठे हैं। यहाँ की समस्याएं जगजाहिर हैं:
* **संकरी गलियां:** आग लगने की स्थिति में फायर टेंडर और एम्बुलेंस का पहुंचना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
* **अवैध निर्माण और अतिक्रमण:** कई इमारतों में सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर अवैध मंजिलें बना दी गई हैं और गलियों में अतिक्रमण है।
* **बिजली के तारों का जंजाल:** हर तरफ लटकते बिजली के तार short-circuit का सबसे बड़ा कारण बनते हैं।
* **Fire Safety Norms का अभाव:** अधिकांश दुकानों और गोदामों में आग बुझाने के बुनियादी उपकरण तक नहीं होते।
हर कुछ महीनों में ऐसे बाजारों में आग लगने की खबरें आती हैं। हर बार जांच के आदेश दिए जाते हैं, वादे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत जस की तस बनी रहती है। सवाल यह है कि प्रशासन कब जागेगा? क्या हमें किसी और बड़े हादसे का इंतजार है, जिसमें कई जानें चली जाएं, तब जाकर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा?
## आग पर काबू, लेकिन सवाल अभी बाकी
हालांकि आग पर काबू पा लिया गया है और किसी अन्य के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन कई सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं, जिनके जवाब मिलना बाकी है:
1. **आग का कारण क्या था?** क्या यह एक short-circuit था, या इसके पीछे कोई और वजह थी?
2. **नुकसान का आकलन:** इस आग से व्यापारियों को कितने करोड़ का वित्तीय नुकसान हुआ है?
3. **जवाबदेही किसकी?** क्या बिल्डिंग के मालिक या दुकानदारों ने फायर सेफ्टी के नियमों का पालन किया था? इसकी जांच कौन करेगा?
4. **घायल जवान का क्या?** उस बहादुर फायर ऑपरेटर की मौजूदा स्थिति क्या है और उसकी हर संभव मदद सुनिश्चित की जाएगी?
यह आग बुझ जाएगी, इसकी राख भी साफ हो जाएगी, लेकिन जो सवाल यह अपने पीछे छोड़ गई है, वे लंबे समय तक सुलगते रहेंगे। यह घटना एक रिमाइंडर है कि विकास और व्यापार की दौड़ में हम अपनी सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं कर सकते। और सबसे बढ़कर, यह उन गुमनाम नायकों को सलाम करने का एक और मौका है जो हमारी रक्षा के लिए आग से खेलने से भी नहीं डरते।