मिजोरम में ₹112 करोड़ का Mega Drug Bust: Assam Rifles को चकमा देकर फरार हुए तस्कर, 3 लाख गोलियां ज़ब्त

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मिजोरम में ₹112 करोड़ का Mega Drug Bust: Assam Rifles को चकमा देकर फरार हुए तस्कर, 3 लाख गोलियां ज़ब्त

आइजोल। भारत के पूर्वोत्तर सीमा पर नशे के खिलाफ चल रही जंग में सुरक्षाबलों को एक बड़ी कामयाबी तो मिली, लेकिन कहानी का अंत अधूरा रह गया। मिजोरम के चम्फाई जिले में, जो भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित है, असम राइफल्स (Assam Rifles) ने एक खुफिया ऑपरेशन में नशीले पदार्थों की एक विशाल खेप को ज़ब्त किया है। इस खेप में 3 लाख से ज़्यादा मेथामफेटामाइन (Methamphetamine) की गोलियां शामिल हैं, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कीमत ₹112.4 करोड़ आंकी गई है। यह हाल के दिनों में सबसे बड़े drug busts में से एक है, लेकिन इस सफलता की चमक थोड़ी फीकी पड़ गई क्योंकि इस काले कारोबार के सरगना सुरक्षाबलों की पकड़ में आने से पहले ही अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए।

यह घटना सिर्फ एक रूटीन ज़ब्ती नहीं है, बल्कि यह उस खतरनाक खेल की एक झलक है जो सीमा पार से खेला जा रहा है। यह उस ‘proxy war’ का हिस्सा है, जो हमारे युवाओं को नशे के दलदल में धकेलकर देश को भीतर से खोखला करने की साज़िश है।

Operation तो सफल, पर अपराधी फरार

यह कार्रवाई चम्फाई जिले के ज़ोखावथर इलाके में अंजाम दी गई, जो म्यांमार से तस्करी के लिए एक कुख्यात gateway माना जाता है। असम राइफल्स को एक ठोस खुफिया जानकारी मिली थी कि नशीले पदार्थों की एक बड़ी खेप को सीमा पार से भारतीय क्षेत्र में लाया जा रहा है। इसी information के आधार पर एक टीम ने इलाके में जाल बिछाया।

देर रात, जब जवानों ने संदिग्ध गतिविधि देखी, तो उन्होंने तस्करों को घेरने की कोशिश की। लेकिन अपराधी बेहद शातिर थे। उन्होंने सुरक्षाबलों की मौजूदगी को भांप लिया और अपने साथ लाए गए ड्रग्स के पैकेट वहीं फेंककर भाग निकले। घना जंगल और मुश्किल इलाका उनके लिए वरदान साबित हुआ। असम राइफल्स ने पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन तब तक अपराधी सीमा पार या किसी अज्ञात ठिकाने पर भागने में सफल हो चुके थे। मौके से जवानों को कई पैकेट मिले, जिनमें 3 लाख से ज़्यादा मेथामफेटामाइन की गोलियां भरी हुई थीं। इन गोलियों को ‘याबा’ (Yaba) या ‘World is Yours’ (WY) टैबलेट्स के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बड़ी सफलता थी, लेकिन अपराधियों का हाथ न आना एक बड़ी चुनौती भी छोड़ गया। अब सवाल यह है कि इस network का master कौन है और इसका अंतिम destination क्या था?

Golden Triangle का Gateway: क्यों है चम्फाई ड्रग्स तस्करों का Hotspot?

इस घटना को समझने के लिए चम्फाई की भौगोलिक स्थिति को समझना ज़रूरी है। यह जिला सीधे म्यांमार से सटा हुआ है और कुख्यात ‘गोल्डन ट्रायंगल’ (Golden Triangle) के बेहद करीब है। गोल्डन ट्रायंगल – म्यांमार, लाओस और थाईलैंड का सीमावर्ती क्षेत्र – दुनिया में सिंथेटिक ड्रग्स, खासकर मेथामफेटामाइन के उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है।

म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता और सशस्त्र विद्रोही समूहों की मौजूदगी ने ड्रग्स उत्पादकों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बना दी है। यहीं से ये नशीले पदार्थ भारत, बांग्लादेश और दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य देशों में भेजे जाते हैं। चम्फाई का ज़ोखावथर इलाका इस तस्करी के लिए सबसे आसान रास्तों में से एक है। porous border, घने जंगल और दुर्गम पहाड़ियां तस्करों को छिपने और भागने में मदद करती हैं।

यह एक विरोधाभास ही है कि 2011 की जनगणना के अनुसार, चम्फाई भारत के सबसे साक्षर जिलों में 6वें स्थान पर था। एक तरफ शिक्षा का इतना ऊंचा स्तर और दूसरी तरफ नशे के कारोबार का इतना गहरा जाल, यह इस क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक जटिलताओं को दर्शाता है। बेरोज़गारी और आसान पैसे का लालच युवाओं को इस खतरनाक रास्ते पर धकेल रहा है।

सिर्फ एक घटना नहीं, एक खतरनाक Trend

यह ₹112.4 करोड़ की ज़ब्ती कोई अकेली घटना नहीं है। अगर हम हाल के समाचारों पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि पूर्वोत्तर में करोड़ों रुपये की ड्रग्स की बरामदगी अब आम होती जा रही है। कुछ रिपोर्ट्स में ₹6.67 करोड़, तो कुछ में ₹9.99 करोड़, और यहाँ तक कि ₹173 करोड़ तक की ड्रग्स की ज़ब्ती का ज़िक्र मिलता है। ये अलग-अलग आंकड़े भले ही अलग-अलग घटनाओं के हों, लेकिन वे एक ही खतरनाक कहानी बयान करते हैं – पूर्वोत्तर भारत सिंथेटिक ड्रग्स की सुनामी का सामना कर रहा है।

सुरक्षा एजेंसियां लगातार ऑपरेशन चला रही हैं, लेकिन तस्कर हर बार नए तरीके इजाद कर लेते हैं। वे स्थानीय लोगों, महिलाओं और यहां तक कि बच्चों का भी इस्तेमाल carrier के रूप में करते हैं। यह एक low-risk, high-reward वाला business बन गया है, जहाँ पकड़े जाने का खतरा कम और मुनाफा असीमित है।

Methamphetamine: युवाओं को खोखला करता ‘Ice’ का नशा

मेथामफेटामाइन, जिसे आम भाषा में ‘Ice’ या ‘Crystal Meth’ भी कहा जाता है, एक बेहद खतरनाक और addictive ड्रग है। यह सीधे central nervous system पर हमला करता है, जिससे व्यक्ति को कुछ समय के लिए अत्यधिक ऊर्जा और खुशी का एहसास होता है। लेकिन इसका असर खत्म होते ही व्यक्ति गंभीर डिप्रेशन, चिंता और पैरानोया का शिकार हो जाता है।

इसके लंबे समय तक सेवन से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पूरी तरह तबाह हो जाता है। वज़न घटना, दांतों का सड़ना, त्वचा पर घाव, दिल का दौरा और ब्रेन डैमेज इसके कुछ गंभीर परिणाम हैं। यह नशा न केवल एक व्यक्ति को, बल्कि उसके पूरे परिवार और समाज को बर्बाद कर देता है। ₹112.4 करोड़ की इन गोलियों का मतलब है कि लाखों युवाओं की जिंदगियों को तबाह करने की साज़िश को नाकाम किया गया है।

असम राइफल्स की यह कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन यह लड़ाई अभी लंबी है। जब तक इस network के सरगना और इसे संरक्षण देने वाले बड़े चेहरे बेनकाब नहीं होते, तब तक ऐसी ज़ब्तियां होती रहेंगी और अपराधी बचकर भागते रहेंगे। ज़रूरत एक comprehensive strategy की है, जिसमें law enforcement, intelligence agencies, social organizations और अंतरराष्ट्रीय सहयोग शामिल हो, ताकि इस ‘गोल्डन ट्रायंगल’ से उठने वाले ज़हर के तूफ़ान को जड़ से रोका जा सके।

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