HC का हथौड़ा: ‘Tainted’ उम्मीदवारों पर गिरी गाज
पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले (West Bengal School Recruitment Scam) में कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। गुरुवार को एक डिवीजन बेंच ने अपने ही कोर्ट की एकल पीठ के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें घोटाले में ‘Tainted’ या ‘अयोग्य’ पाए गए उम्मीदवारों को नई भर्ती प्रक्रिया से बाहर रखने का आदेश दिया गया था। यह फैसला ममता बनर्जी सरकार और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) के लिए एक बहुत बड़ा झटका (setback) है, जिन्होंने एकल पीठ के इस आदेश को चुनौती दी थी।
कोर्ट का यह कड़ा रुख उन हजारों योग्य उम्मीदवारों के लिए उम्मीद की एक किरण लेकर आया है, जो वर्षों से न्याय का इंतजार कर रहे थे। डिवीजन बेंच ने साफ कर दिया है कि जिन लोगों ने पिछली भर्ती में गलत तरीकों से नौकरी हासिल करने की कोशिश की, उन्हें किसी भी कीमत पर सिस्टम में दोबारा घुसने का मौका नहीं दिया जाएगा। कोर्ट ने WBSSC को यह भी निर्देश दिया है कि इन ‘दागी’ उम्मीदवारों द्वारा नई भर्ती परीक्षा के लिए भरे गए सभी आवेदनों को तत्काल रद्द कर दिया जाए। यह फैसला भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और योग्यता को बनाए रखने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
क्या है पूरा मामला? Single Bench से Division Bench तक की लड़ाई
यह पूरा विवाद बंगाल के ‘Cash for Jobs’ घोटाले की पृष्ठभूमि में है, जिसने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को हिलाकर रख दिया था। मामला तब गरमाया जब 2025 में WBSSC ने एक नई भर्ती प्रक्रिया शुरू की। इस प्रक्रिया में उन उम्मीदवारों ने भी आवेदन कर दिया, जिनके नाम पिछले घोटाले में सामने आए थे। इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई।
7 जुलाई 2025 को, जस्टिस सौगत भट्टाचार्य की एकल पीठ (single-bench) ने एक ऐतिहासिक आदेश पारित किया। उन्होंने WBSSC को निर्देश दिया कि भर्ती घोटाले में ‘tainted or identified ineligible’ (दागी या अयोग्य के रूप में पहचाने गए) किसी भी उम्मीदवार को नई भर्ती परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। जस्टिस भट्टाचार्य का तर्क था कि जिन लोगों ने पहले ही सिस्टम को धोखा दिया है, उन्हें फिर से उसी प्रक्रिया का हिस्सा बनने का कोई नैतिक या कानूनी अधिकार नहीं है।
इस फैसले से राज्य सरकार और WBSSC में हड़कंप मच गया। 8 जुलाई को, ममता बनर्जी सरकार और आयोग ने इस फैसले को कलकत्ता हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच (division bench) में चुनौती दे दी। उनकी दलील थी कि एकल पीठ का यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने आदेश के खिलाफ है। लेकिन 10 जुलाई को, डिवीजन बेंच ने उनकी अपील को पूरी तरह से खारिज करते हुए एकल पीठ के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी।
सरकार की दलील खारिज, Supreme Court के आदेश का भी नहीं मिला सहारा
राज्य सरकार और WBSSC ने अपनी अपील में सुप्रीम कोर्ट के 17 अप्रैल के एक आदेश का हवाला दिया था। उनका तर्क था कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ‘जो उम्मीदवार विशेष रूप से दागी नहीं पाए गए हैं, वे परीक्षा में बैठ सकते हैं’ (candidates not found to be specifically tainted can sit for the tests)। सरकार यह साबित करने की कोशिश कर रही थी कि जब तक किसी उम्मीदवार का दोष अंतिम रूप से सिद्ध नहीं हो जाता, उसे परीक्षा में बैठने से नहीं रोका जा सकता।
हालांकि, कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सरकार की इस दलील को नहीं माना। बेंच ने स्पष्ट किया कि एकल पीठ का आदेश उन उम्मीदवारों के लिए है जिनकी पहचान घोटाले में ‘अयोग्य’ के रूप में की जा चुकी है। कोर्ट ने माना कि ऐसे लोगों को प्रक्रिया में शामिल करना पूरी भर्ती की शुचिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करेगा। यह उन लाखों ईमानदार उम्मीदवारों के साथ घोर अन्याय होगा जो योग्यता के आधार पर नौकरी पाने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। डिवीजन बेंच के इस फैसले ने यह संदेश दिया है कि कानूनी दांव-पेंच का सहारा लेकर घोटाले के आरोपियों को सिस्टम में पिछले दरवाजे से एंट्री नहीं दी जा सकती।
Mamata सरकार के लिए बड़ा झटका, भर्ती प्रक्रिया पर क्या होगा असर?
यह फैसला निश्चित रूप से ममता बनर्जी सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक और कानूनी झटका है। सरकार पर पहले से ही इस भर्ती घोटाले को लेकर विपक्ष के तीखे हमले हो रहे हैं। कोर्ट में सरकार का यह रुख कि दागी उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठने दिया जाए, विपक्ष के इन आरोपों को और बल दे सकता है कि सरकार घोटाले के आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है।
इस फैसले का तत्काल असर 2025 की भर्ती प्रक्रिया पर पड़ेगा। WBSSC को अब हजारों आवेदनों की फिर से जांच करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी ‘दागी’ उम्मीदवार परीक्षा में न बैठ पाए। इससे भर्ती प्रक्रिया में थोड़ी देरी हो सकती है, लेकिन यह भविष्य के लिए एक स्वच्छ और पारदर्शी प्रणाली की नींव रखेगा। यह फैसला एक नजीर (precedent) भी स्थापित करता है कि किसी भी सरकारी भर्ती में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह बंगाल के युवाओं को यह विश्वास दिलाता है कि अब योग्यता और मेहनत का सम्मान होगा, न कि पैसों और जुगाड़ का। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य सरकार इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देती है और भर्ती प्रक्रिया को कितनी जल्दी और कितनी पारदर्शिता के साथ पूरा करती है।