I-T नोटिस की आंच Shinde तक? दिल्ली दौरे से महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल, असली निशाना कौन – शिंदे या उनके मंत्री?

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दिल्ली की दौड़, मुंबई में बेचैनी: आखिर माजरा क्या है?

महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर भूचाल आ गया है। Deputy Chief Minister और Shiv Sena के chief, एकनाथ शिंदे, ने अचानक दिल्ली का रुख किया है, और उनके इस दौरे ने मुंबई से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक गलियारों में एक ‘swirl of rumours’ यानी अफवाहों का बवंडर खड़ा कर दिया है। यह कोई सामान्य दौरा नहीं है। यह दौरा एक ऐसे समय पर हो रहा है जब Income Tax विभाग की एक चिट्ठी ने शिंदे कैंप में खलबली मचा दी है। यह चिट्ठी 2019 के विधानसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे (election affidavit) में कथित गड़बड़ियों से जुड़ी है।

एक hard-hitting journalist के तौर पर, यह देखना ज़रूरी है कि घटनाओं का sequence क्या है। पहले I-T विभाग का नोटिस आता है, और फिर अचानक Deputy CM अपना सब काम छोड़कर दिल्ली के लिए उड़ान भरते हैं। यह महज़ एक संयोग है या इसके पीछे कोई गहरा राजनीतिक संकट छिपा है? दिसंबर 2024 में जब शिंदे ने Deputy CM का पद संभाला था, तब से ही महाराष्ट्र की राजनीति में समीकरण लगातार बदल रहे हैं। उनका यह दिल्ली दौरा, जो बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के हुआ है, इस बात का संकेत है कि परदे के पीछे कुछ बड़ा पक रहा है। क्या यह सिर्फ एक रूटीन मुलाकात है, या फिर किसी बड़े राजनीतिक संकट को टालने की कोशिश? महाराष्ट्र की जनता और राजनीतिक विश्लेषक, सबकी नज़रें अब दिल्ली पर टिकी हैं।

Conflicting Reports: I-T नोटिस का असली निशाना कौन?

इस पूरे मामले का सबसे दिलचस्प और रहस्यमयी पहलू है I-T नोटिस को लेकर चल रहा confusion। मीडिया रिपोर्ट्स इस मुद्दे पर पूरी तरह से बंटी हुई हैं, जिससे मामला और भी उलझ गया है। Hindustan Times की पत्रकार आरती मधुसूदन की रिपोर्ट के मुताबिक, Income Tax का यह नोटिस शिंदे सरकार के मंत्री संजय शिरसाट को भेजा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शिरसाट के 2019 के चुनावी हलफनामे में पाई गई कथित गड़बड़ियों के चलते यह कार्रवाई हुई है। अगर यह सच है, तो शिंदे का दिल्ली दौरा अपने मंत्री को बचाने या आलाकमान को स्थिति समझाने की एक कोशिश हो सकता है।

लेकिन कहानी में ट्विस्ट यहीं खत्म नहीं होता। एक अन्य प्रतिष्ठित मीडिया हाउस, Mathrubhumi, की रिपोर्ट हिंदुस्तान टाइम्स के दावे को पूरी तरह से खारिज़ करती है। Mathrubhumi के अनुसार, I-T का नोटिस संजय शिरसाट को नहीं, बल्कि खुद Deputy CM एकनाथ शिंदे और उनके बेटे, सांसद श्रीकांत शिंदे को भेजा गया है। यह conflicting report मामले को एक नया और गंभीर मोड़ देती है। अगर नोटिस सीधे शिंदे और उनके बेटे को मिला है, तो यह उनके राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। यह उनके दिल्ली दौरे को एक ‘damage control’ मिशन बना देता है। यह विरोधाभास जानबूझकर फैलाया जा रहा है या मीडिया के पास अधूरी जानकारी है, यह अभी साफ़ नहीं है। लेकिन एक बात तय है – इस confusion ने शिंदे कैंप की बेचैनी बढ़ा दी है और विपक्ष को हमला करने का एक नया हथियार दे दिया है।

2019 का ‘Affidavit’ और आज की सियासत

यह पूरा मामला 2019 के चुनावी हलफनामे से जुड़ा है। हर उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से पहले अपनी संपत्ति, देनदारी और आपराधिक रिकॉर्ड का ब्यौरा देना होता है। इस हलफनामे में कोई भी गड़बड़ी या जानकारी छिपाना एक गंभीर अपराध माना जाता है, और यह उम्मीदवारी रद्द होने से लेकर कानूनी कार्रवाई तक का कारण बन सकता है। अब, 6 साल बाद, 2019 के हलफनामे को लेकर I-T विभाग का सक्रिय होना कई सवाल खड़े करता है।

क्या यह एक रूटीन जांच है जो अब अपने नतीजे पर पहुंची है, या फिर यह ‘political timing’ का खेल है? अक्सर देखा गया है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाइयां राजनीतिक मौसम के हिसाब से तेज़ या धीमी हो जाती हैं। शिंदे के मामले में, यह नोटिस ऐसे समय पर आया है जब महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण बेहद नाज़ुक दौर से गुज़र रहे हैं। यह नोटिस शिंदे और उनकी पार्टी पर दबाव बनाने का एक ज़रिया हो सकता है। चाहे निशाना संजय शिरसाट हों या खुद शिंदे, इसका सीधा असर महाराष्ट्र सरकार की स्थिरता और शिंदे के राजनीतिक कद पर पड़ेगा।

अफवाहों का बाज़ार और दिल्ली दरबार में हाज़िरी

एकनाथ शिंदे का दिल्ली दौरा सिर्फ I-T नोटिस तक सीमित नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह दौरा ‘अफवाहों के बवंडर’ के बीच हो रहा है। ये अफवाहें क्या हैं, इसका खुलासा तो नहीं हुआ है, लेकिन अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह महाराष्ट्र सरकार के भीतर चल रही खींचतान, कैबिनेट विस्तार में देरी, या फिर सहयोगी दलों के साथ बढ़ते मतभेद से जुड़ा हो सकता है।

दिल्ली में शिंदे की मुलाकातें किससे होंगी, यह अभी गोपनीय रखा गया है। लेकिन ज़ाहिर है कि वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिलकर अपना पक्ष रखेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे। यह दौरा एक तरह से दिल्ली दरबार में उनकी हाज़िरी है, यह दिखाने के लिए कि महाराष्ट्र में सब कुछ ‘under control’ है, या फिर मदद मांगने के लिए कि इस संकट से कैसे निपटा जाए। नतीजा जो भी हो, शिंदे के मुंबई लौटने तक महाराष्ट्र की सियासत में अटकलों का पारा चढ़ा रहेगा। यह दौरा तय करेगा कि शिंदे इस राजनीतिक चक्रव्यूह से और मज़बूत होकर निकलते हैं, या फिर यह संकट उनके लिए नई मुश्किलें खड़ी करता है।

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